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- चीन की चाल

Written by जनसत्ता: अब तक उम्मीद तो यही रही है कि चीन पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद को जल्द सुलझाएगा। लेकिन पिछले दो साल में उसकी तरफ से एक बार भी ऐसा कोई संकेत नहीं आया जिससे जरा भी यह लगे कि वह इस मसले को सुलझाना चाहता है और भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाने का इच्छुक है। बल्कि वह आए दिन कुछ न कुछ ऐसा करता दिखता है जिससे भारत भड़के। हाल में ऐसी खबरें आई हैं कि चीन ने पैंगोंग झील इलाके में एक और पुल बनाना शुरू कर दिया है। जिस जगह यह पुल बनाया जा रहा है, उस पर वह छह दशक से अपना दावा ठोकता रहा है।
सन 1960 से उसने इस इलाके पर अवैध कब्जा कर रखा है, जिसे भारत ने कभी मान्यता नहीं दी। अगर यह इलाका उसके वैध कब्जे में होता, उसके देश का हिस्सा होता तो भारत को आपत्ति ही क्यों होती! मुद्दे की बात यह है कि जब उस क्षेत्र पर उसका अधिकार ही नहीं है तो फिर वहां किसी भी तरह का निर्माण कर उसे तनाव पैदा करने वाले काम करना ही नहीं चाहिए। जाहिर है, ऐसा करने के पीछे उसका मकसद भारत को उकसाने और धमकाने का ही रहा है।
गौरतलब है कि पैंगोंग झील इलाके में चीन ने एक पुल पहले ही बना लिया था। अब इसके समांतर दूसरा पुल भी बना रहा है। उपग्रह से मिली तस्वीरों से भी यह स्पष्ट हो चुका है। इससे एक बात तो साफ है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन अपनी मोर्चाबंदी मजबूत कर रहा है। वह यहां स्थायी और बड़ा सैन्य ठिकाना बनाने में जुट गया है। दूसरा पुल बनाने के पीछे उसका मकसद वहां जल्द ही बड़ी संख्या में अपने सैनिक तैनात करने का है।
जून 2020 में गलवान घाटी विवाद के बाद उसकी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। हालांकि गलवान घाटी की घटना के बाद उपजे तनाव को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच वार्ताओं के दौर चल रहे हैं। सैन्य कमांडरों की अब तक पंद्रह दौर की बातचीत हो चुकी है। कूटनीतिक स्तर पर भी वार्ताएं हुई हैं। लेकिन ऐसे सारे प्रयास तब निरर्थक होने लगते हैं जब सामने वाला देश ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने लगे जो शांति के बजाय तनाव पैदा करने वाली हों। चीन दूसरा पुल बना कर यही कर रहा है।
ऐसा नहीं कि चीन पैंगोंग झील इलाके में ही अवैध निर्माण कर विवाद बढ़ा रहा है। वह भारत से सटी अपनी चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर उन सभी जगहों पर ऐसे निर्माण करने में लगा है जो दोनों देशों के लिए सामरिक लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। अरुणाचल प्रदेश में तो वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास उसने गांव तक बसा लिए हैं। सीमाई इलाकों में उसने सड़क और रेल मार्गों का जो जाल बिछा लिया है और वहां 5 जी नेटवर्क सेवा पहुंचा दी है, उसका मकसद ही इन इलाकों में अपना दबदबा बनाते हुए भारत को धमकाना है।
चीनी सैनिक अवैध रूप से भारतीय इलाकों में घुसपैठ करते ही रहे हैं। चीन की ये गतिविधियां भारत के लिए गंभीर चिंता की बात हैं। सवाल तो यह है कि अगर विवादित क्षेत्रों पर चीन इसी तरह निर्माण करता रहा तो विवाद हल कैसे होंगे? हालांकि चीन की हर चाल का उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारत की तैयारियां भी कम नहीं हैं। लेकिन टकराव से विवाद हल नहीं होते। विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति बनी रहनी चाहिए। वरना विवाद सुलझने के बजाय और गंभीर रूप लेने लगेंगे।