सम्पादकीय

UNSC में पाकिस्तानी आतंकी को प्रतिबंधित करने को लेकर फिर दिखी चीन की शरारत, भरोसे के काबिल नहीं है ड्रैगन

Rani Sahu
17 Sep 2022 5:41 PM GMT
UNSC में पाकिस्तानी आतंकी को प्रतिबंधित करने को लेकर फिर दिखी चीन की शरारत, भरोसे के काबिल नहीं है ड्रैगन
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सोर्स- Jagran
चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर को प्रतिबंधित करने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव पर जिस तरह अड़ंगा लगाया, उससे फिर यही सिद्ध हुआ कि वह भारतीय हितों के विरुद्ध काम करने से बाज आने वाला नहीं है। साजिद मीर के बचाव में खड़े होकर चीन ने न केवल अपनी बेशर्मी का परिचय दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि वह भरोसे के काबिल नहीं।
इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं हो सकती कि जिस समय समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमति जताई जा रही थी, करीब उसी वक्त चीन संयुक्त राष्ट्र में एक ऐसे आतंकी का बचाव करने में लगा हुआ था, जिस पर अमेरिका ने 50 लाख डालर का इनाम घोषित कर रखा है, क्योंकि वह मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता है।
कुछ समय पहले पाकिस्तान ने इसी साजिद मीर के बारे में यह झूठ बोला था कि उसकी मौत हो गई है। जब पश्चिमी देशों ने इसके प्रमाण मांगे तो पाकिस्तान ने यह सूचना दी कि उसे 15 साल की सजा दे दी गई है। ऐसा ही झूठ वह एक अन्य आतंकी सरगना मसूद अजहर के बारे में बोल चुका है। उसकी मानें तो वह अफगानिस्तान में छिपा है, लेकिन तालिबान का साफ कहना है कि उसे तो पाकिस्तान ने ही संरक्षण दे रखा है।
एक समय चीन संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर की भी ढाल बना था, लेकिन अंततः उसे मुंह की खानी पड़ी थी। संयुक्त राष्ट्र में आतंकी साजिद मीर के बचाव की चीन की ताजा हरकत को देखते हुए यह अच्छा ही हुआ कि भारतीय प्रधानमंत्री ने समरकंद में न तो चीनी राष्ट्रपति से संवाद करना बेहतर समझा और न ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से।
बीते चार महीनों में यह तीसरी बार है, जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र में किसी पाकिस्तानी आतंकी को काली सूची में डालने के प्रस्ताव को रोकने का काम किया है। इसके पहले वह मसूद अजहर के भाई अब्दुल अजहर और अब्दुल रहमान मक्की को काली सूची में डालने के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्तावों को बाधित कर चुका है। चीन जिस तरह पाकिस्तान के उन आतंकियों का बचाव कर रहा है, जो भारत के लिए खतरा बने हैं, उसके बाद उस पर तनिक भी विश्वास नहीं किया जा सकता।
भारत के लिए अब यह आवश्यक है कि वह शंघाई सहयोग संगठन में आतंकवाद के खिलाफ बनी सहमति को लेकर चीन को न केवल आईना दिखाए, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कठघरे में भी खड़ा करे-ठीक वैसे ही जैसे उसकी सेनाओं के अतिक्रमणकारी रवैये को लेकर किया। चीन की ओर से आपसी सहयोग की जो भी बातें की जा रही हैं, उन पर यकीन करना खुद को धोखे में रखना ही होगा।
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