सम्पादकीय

चीन पर गहराती शंका

Triveni
9 Jun 2021 3:54 AM GMT
चीन पर गहराती शंका
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अमेरिका की एक सरकारी प्रयोगशाला की रिपोर्ट में कहा गया है

अमेरिका की एक सरकारी प्रयोगशाला की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 का वायरस चीन के वुहान की प्रयोगशाला से निकला हो सकता है। एक गोपनीय दस्तावेज में कैलिफोर्निया की लॉरेंस लिवमोर प्रयोगशाला ने यह बात दर्ज की है कि इस वायरस की जेनेटिक संरचना के अध्ययन से पता चलता है कि इस आशंका में दम हो सकता है। चूंकि यह प्रयोगशाला बहुत प्रतिष्ठित है, इसलिए इसकी रिपोर्ट को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। इस प्रयोगशाला ने पिछले साल ट्रंप सरकार के आखिरी दिनों में यह रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट की बात सार्वजनिक होने से पहले ही पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस मामले की जांच करने की घोषणा कर चुके हैं। यह मुद्दा कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही चर्चा में रहा है। इसकी वजह यह है कि कोरोना की शुरुआत वुहान प्रांत से हुई। ऐसे में, एक आशंका यह थी कि वुहान के पशु बाजार में किसी तरह से कोरोना वायरस चमगादड़ से इंसान में आ गया। दूसरी, यानी प्रयोगशाला से इस वायरस के निकलने की आशंका इसलिए हुई कि वुहान में कोरोना वायरस पर प्रयोग करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। दुनिया में ऐसी सिर्फ तीन प्रयोगशालाएं हैं, जिनमें से बाकी दो अमेरिका में हैं।

इस दूसरी आशंका के पक्ष में सुबूत जुटाना मुश्किल था और इसका इस्तेमाल सनसनीखेज आरोप लगाने के लिए होने लगा, इसलिए लोगों का इस पर विश्वास नहीं हुआ। अमेरिका में तब राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने अंदाज से चीन पर आरोप लगाने के लिए इसका इस्तेमाल किया और दक्षिणपंथी ताकतों ने इसे एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ नफरत और हिंसा फैलाने का बहाना बना लिया, इससे भी इस दावे की विश्वसनीयता कम हुई। लेकिन कई प्रयोगशालाएं और वैज्ञानिक जांच करते रहे और उनका यह कहना है कि इस बात की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं कि यह शत-प्रतिशत प्रमाणित तथ्य है। हो सकता है कि कोविड-19 का वायरस प्राकृतिक तरीके से पैदा हुआ हो, लेकिन दूसरी आशंका के पक्ष में भी काफी सुराग हैं। एक बड़ी समस्या यह है कि चीन का तंत्र बिल्कुल पारदर्शी और खुला नहीं है, इसलिए कोई भी जांच करना मुश्किल है। डब्ल्यूएचओ की जो टीम वहां जांच करने गई थी, उसे भी इस तरह से जांच का मौका नहीं मिला कि उससे किसी स्पष्ट नतीजे पर पहुंचा जा सके। चीन के इस रवैये से शक और ज्यादा गहरा जाता है, क्योंकि अगर प्राकृतिक कारणों से वायरस फैला, तो फिर इसमें छिपाने की कोई वजह नहीं है। इसी खबर के साथ चीन से जुड़ी एक खबर यह भी आई है कि इस साल के शुरुआती पांच महीनों में चीन के साथ भारत के व्यापार में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत-चीन सीमा विवाद के चलते तमाम प्रतिबंधों के बावजूद दोनों देशों के बीच इस साल 48 अरब डॉलर, यानी करीब साढे़ तीन लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। चीन इसे कुछ इस तरह प्रचारित कर रहा है कि सीमा विवाद का व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह स्थिति भारत में चिकित्सा साधनों खासकर ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर के आयात से पैदा हुई है, यानी इलाज भी चीन ही दे रहा है। जाहिर है, भारत को चीन के बरक्स अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बहुत सारे बुनियादी काम करने होंगे।


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