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- चीन-तालिबान की खतरनाक...

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में तालिबानी प्रतिनिधिमंडल से चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात चिंतित करने वाली है। तालिबानी नेताओं को दिए गए इस सम्मान के कई निहितार्थ हैं। इससे यह तो साफ हो गया है कि अमेरिका की वापसी के बाद चीन अफगानिस्तान में अपनी दखल बढ़ाने को लेकर गंभीर है। इससे उसके कई स्वार्थ पूरे होंगे। जैसे, अफगानिस्तान में मौजूद तांबा, कोयला, गैस, तेल आदि के अप्रयुक्त भंडारों तक वह अपनी पहुंच बना सकेगा। कुछ तेल क्षेत्रों के अलावा तांबे की एक बड़ी खदान वह पहले ही हासिल कर चुका है। फिर, जिन उइगर अलगाववादियों को वह अपना दुश्मन मानता है, उनके संगठन 'पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' (ईटीआईएम) पर भी वह नकेल कस सकेगा। ईटीआईएम का चीन के शिनजियांग प्रांत में खासा असर है। दिक्कत यह है कि चीन का यह स्वार्थ बाकी दुनिया पर भारी पड़ सकता है। इस गठजोड़ का असर कई रूपों में विश्व व्यवस्था पर दिख सकता है।
