सम्पादकीय

विश्व शक्ति की लड़ाई में चीन अपनी अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है

Gulabi
4 Dec 2021 3:00 PM GMT
विश्व शक्ति की लड़ाई में चीन अपनी अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है
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विश्व शक्ति की लड़ाई
ज्योतिर्मय रॉय.
चीन (China) ने अपनी विस्तारवादी नीति के कारण दुनिया के अलग-अलग देशों में कर्ज देने का जाल फैला रखा है. कर्ज के जाल में फंसे देशों की अर्थव्यवस्था को चीन धीरे-धीरे अजगर की तरह जकड़ कर निगल जाता है. कैरेबियाई द्वीप बारबाडोस (Barbados) इसका एक अच्छा उदाहरण है. 2005 के बाद से, चीन ने ब्रिटिश नेतृत्व वाले 'राष्ट्रमंडल' गठबंधन पर कब्जा जमाने के लिए गठबंधन के 42 देशों में 685 बिलियन पाउंड का निवेश किया है. एक मुक्त व्यापार प्रणाली के लिए गठित यह गठबंधन दशकों से निष्क्रिय पड़े रहने के कारण, बीजिंग को कैरिबियन क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने का अवसर मिला है.
इसका फायदा उठाकर चीन कमजोर राष्ट्रमंडल देशों (Commonwealth of Nations) को अपने कर्ज से और ज्यादा कमजोर बना रहा है. हाल ही में कैरेबियाई द्वीप बारबाडोस 400 साल बाद ब्रिटेन की सत्ता से मुक्त होने के बाद दुनिया के एक नए गणराज्य के रूप में उभरा है. ब्रिटिश बुद्धिजीवियों ने इसके लिए चीन के निवेश प्रलोभन को जिम्मेदार ठहराया है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का लक्ष्य चीन को एकमात्र विश्व शक्ति के रूप में स्थापित करना है.
चीनी ऋण का खतरा
साहूकार चीन ने बारबाडोस और जमैका जैसे गरीब देशों को इतना अधिक कर्ज दिया है कि उन्हे एक न एक दिन ऋण के लिये दिये गये संपार्श्विक प्रतिभूति संपत्ति (Collateral Security Asset) को चीन को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. चीन के लिए विश्व शक्ति बनने का यह एक नया तरीका है. चीन की इस हरकत को विश्व राजनीति में चेक डिप्लोमेसी कहा जाता है. अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने कैरेबियाई द्वीप बारबाडोस में सड़कों, घरों, सीवरों और एक होटल में करीब 500 मिलियन पाउंड का निवेश किया है. जबकि पास के जमैका में 16.4 बिलियन पाउंड की तुलना में चीन ने घरेलू सामानों में लगभग 2.6 बिलियन पाउंड का निवेश किया है.
जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से अपने 'हांगकांग राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' का समर्थन मांगा, तो परपापुआ न्यू गिनी, एंटीगुआ और बारबुडा जैसे देशों ने चीन को समर्थन दिया. 16 राष्ट्रमंडल राज्यों में, चीनियों ने पापुआ न्यू गिनी में 5.3 बिलियन पाउंड का निवेश किया है, जो पापुआ न्यू गिनी के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 21 प्रतिशत है और एंटीगुआ और बरमूडा में 1 बिलियन पाउंड चीन ने निवेश किया है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत है. अन्य राष्ट्रमंडल सदस्य जिन्होंने हांगकांग में बीजिंग की कार्रवाई का समर्थन किया है, उनमें सिएरा लियोन, ज़ाम्बिया, लेसोथो, कैमरून और मोज़ाम्बिक शामिल हैं. 2005 के बाद से सिएरा लियोन में चीन का निवेश उसके सकल घरेलू उत्पाद का 145 प्रतिशत है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन ने इन देशों को राष्ट्रमंडल या अन्य जगहों पर चीन विरोधी किसी भी प्रस्ताव का मुकाबला करने के लिए इस्तेमाल करेगा.
चीन की वजह से यूरोपीय ठेकेदारों को नुकसान हो रहा है
ब्रिटेन पाकिस्तान के विकास का सबसे बड़ा विदेशी भागीदार था. लेकिन 2005 के बाद से, चीन ने पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर का निवेश किया है, जो कि उनके सकल घरेलू उत्पाद का पांचवां हिस्सा है. लेकिन पाकिस्तान ने अब अपने 70 फीसदी हथियार बीजिंग से खरीदे हैं. अमेरिकियों का मानना है कि पाकिस्तानी सरकार ने तालिबान को वही हथियार दिए, और यह हथियार अफगानिस्तान में गठबंधन सेना को हराने और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए इस्तेमाल किए गए थे.
जब श्रीलंका जैसा देश उच्च ब्याज ऋण चुकाने में असमर्थ होता है, तो श्रीलंका सरकार चीन को ऋण के लिए सुरक्षा के रूप में उपयोग की जाने वाली संपत्ति को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर करता है. इसका सबसे अच्छा सबूत है, हम्बनटोटा कंटेनर बंदरगाह और उसके आसपास की 15,000 एकड़ जमीन को चीन को 99 साल के लिए चीन को पट्टे पर देना है. श्रीलंका की इस कदम से, चीन को भारत की प्रमुख शिपिंग लेन में पैर जमाने का मौका मिला है.
लंदन का एक व्यापार निकाय, द कैरिबियन काउंसिल के प्रबंध निदेशक क्रिस बेनेट ने कहा है कि, 15 वर्षों में, चीन ने सरकार व्यापक क्षेत्र में अपने व्यापारिक हितों के लिए आवश्यक रणनीतिक संसाधनों पर लगातार नियंत्रण किया है. चीनी ठेकेदारों और आयातित श्रम के उपयोग के लिए चीनी सरकार द्वारा रियायती वित्तपोषण के कारण पश्चिमी ठेकेदारों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा था. उदाहरण के लिए, ब्रिटिश निर्माण कंपनी कियार को तीन साल पहले कैरिबियन और हांगकांग दोनों देशो से अपना कारोबार को समेटने के लिए मजबूर किया गया था. चीन के साथ व्यापारिक प्रतियोगिता के लिए कियार को 72 मिलियन पाउंड का नुकसान हुआ.
'ग्लोबल गेटवे' यूरोपीय संघ को दुनिया की प्रमुख भू-राजनीतिक शक्तियों में से एक बना देगा
इस बीच, चीन की बेल्ट एंड रोड रणनीति का विस्तार मोंटेग्रो सहित पश्चिमी बाल्कन तक हो गया है. इस प्रभुत्व को तोड़ने के लिए, यूरोपीय संघ (EU) ने वैश्विक स्तर पर एक व्यापक निवेश योजना शुरू की है जिसे 'ग्लोबल गेटवे' के नाम से जाना जाता है. जो डिजिटलीकरण, परिवहन, जलवायु और पावर के क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है और बेल्ट एंड रोड को प्रभावित करने में मददगार होगा. उम्मीद है कि यह योजना अफ्रीका समेत विभिन्न देशों के क्षेत्रीय कारोबार में चीन के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित होगी. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने 'ग्लोबल गेटवे' के माध्यम से वैश्विक बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विकास के लिए 300 बिलियन यूरो की घोषणा की है. इस परियोजना के तहत यह पैसा 2027 तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों पर खर्च किया जाएगा.
हालांकि, यूरोपीय आयोग ने सार्वजनिक रूप से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि, क्या यह परियोजना एशिया को अफ्रीका और यूरोप से जोड़ने के लिए चीन की 'बेल्ट एंड रोड परियोजना' की जवाबी प्रतिक्रिया है. यूरोपीय संघ में जर्मन राजदूत माइकल ब्लॉब ने कहा कि यह यूरोपीय संघ को दुनिया की प्रमुख भू-राजनीतिक शक्तियों में से एक बना देगा.
संप्रभुता को बनाए रखने में दीर्घकालीन योजना कारगर सिद्ध होती है
चीनी में नेता बदलते रहते हैं, लेकिन पार्टी वही रहती है, जिससे लंबी योजना को अंजाम देना आसान हो जाता है. साथ ही, एक गणतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ राजनीतिक दल और नेता भी बदलते रहते हैं. जिससे किसी भी दीर्घकालिक योजना को लागू करना मुश्किल हो जाता है. सरकार बदलने के साथ ही योजनाओं का महत्व भी बदल जाता है. गणतंत्र में शासन की बहुदलीय प्रणाली राष्ट्रीय स्तर पर योजना के लिए उपयुक्त हो सकती है, लेकिन भु-राजनीतिकरण की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय हित में दीर्घकालिक योजना की स्थिरता असंभव है. संप्रभुता को बनाए रखने में दीर्घकालीन योजना कारगर सिद्ध होता है. विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने के लिए चीन ने कूटनीति के रूप में सैन्य बल के बदले आर्थिकबल का रणनीतिक उपयोग किया. विश्व महाशक्ति की लड़ाई में चीन अमेरिका के साथ-साथ रुस को भी पीछे धकेलना चाहता है.
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