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करोना महामारी (Corona Pandemic) से विश्व के प्रायः सभी देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है
ज्योतिर्मय रॉय करोना महामारी (Corona Pandemic) से विश्व के प्रायः सभी देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. धीरे-धीरे विश्व, सामान्य स्थिति कि दिशा में आगे बढ़ रहा है. प्रायः सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं अब सुधार की चरण में है. विश्व-बाजार व्यवस्था में चीन की एक महत्वपूर्ण पहचान है. विश्व कि उद्योग जगत पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चीन (China) ने अपनी औद्योगिक बुनियादी ढांचे का विकास इस प्रकार से किया है कि विश्व के विभिन्न देशों को कच्चे माल की आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर करना पड़े. आज चीन द्वारा निर्मित उत्पाद से प्रायः सभी देशों की बाजार भरा पड़ा है. चीनी उत्पादों की कम कीमत और विविधता के कारण विभिन्न देशों की स्थानीय बाजार को नुकसान उठाना पर रहा है.
लेकिन इसके उपरांत भी, चीन की आर्थिक मंदी आज एक निर्विवाद तथ्य है. इस वर्ष चीन की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 18.3 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, लेकिन दूसरी तिमाही में वह घटकर केवल 7.9 फीसदी रह गई है, और देखते ही देखते तीसरी तिमाही में वह घटकर केवल 4.9 फीसदी रह गई है. स्थिति चिंतनीय और गंभीर है, विशेष रूप से, सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं जब महामारी के बाद सुधार के चरण में है, तब चीन की विकास दर अपेक्षाकृत अधिक होनी चाहिए था.
वर्तमान स्थिति में आर्थिक विकास के पुराने मॉडल कि सफलता का संभावना क्षीण
बिजली कटौती के कारण चीन के कारखानों में उत्पादन में कटौती कर दिया गया है या कारखानों को बंद कर दिया गया है. डेढ़ साल तक चली महामारी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है, और चीनी कारखानों के लिए आवश्यक घटकों की आपूर्ति मुश्किल हो गई है, जिससे कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है. अकेले इस साल सितंबर में उत्पादन लागत में 10.9 फीसदी की वृद्धि हुई है. यद्यपि, तात्कालिक समस्या का कारण आर्थिक मंदी है.
इस आर्थिक संकट से निकल ने के लिये क्या चीन सरकार अपनी मौजूदा आर्थिक नीतियों में बदलाव लायेगा, जैसे कि निजी उद्यमों के शुद्धिकरण को निलंबित करना, सामान्य समृद्धि को बढ़ावा नहीं देना और रियल एस्टेट डेवलपर्स के उधार पर रोक लगाना? अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वर्तमान स्थिति में आर्थिक विकास के पुराने मॉडल की सफलता का संभावना क्षीण है, और इस स्थिति में एक नए विकास मॉडल को खोजने की आवश्यकता है. अगले साल सीपीसी में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की आयोजन की संभावना है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस से पहले जिनपिंग सरकार पुराने मॉडल का पालन करेगी, लेकिन 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद आर्थिक मंदी के दबाव के कारण नीतियों को समायोजित करने के लिए मजबूर हो जाएगा. उन्होंने अनुमान लगाया कि 2022 के बाद, चीन की आर्थिक विकास दर तेजी से गिरकर केवल 2 फीसदी और 3 फीसदी की वार्षिक विकास दर पर आ जाएगी.
चीन की अर्थव्यवस्था के लिये सबसे बड़ा संकट आवास बाजार
अर्थशास्त्रियों का कहना है की, आवास बाजार चीन की अर्थव्यवस्था के लिये सबसे बड़ा संकट खड़ा कर सकता है. चीन की एवरग्रांडे कंपनी, जो एक विशाल रियल एस्टेट डेवलपर है, वर्तमान में चीन के 280 से अधिक शहरों में 1,300 से अधिक परियोजनाओं का मालिक है. इसमें लगभग 200,000 लोग कार्यरत है, तथा अप्रत्यक्ष रूप से यह हर साल 38 लाख से अधिक नौकरियों को बनाए रखने में मदद करता है. एवरग्रांडे ने विस्तार करने के लिए उधार पर भरोसा किया और चीन के सबसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपर होने के साथ-साथ दुनिया के सबसे अधिक ऋणी डेवलपर बन गया है. आज, एवरग्रांडे पर 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक का कर्ज है और किसी भी समय दिवालिया हो सकता है. अगर अगर ऐसा हुआ तो इसके 70,000 निवेश कर्ता के साथ साथ करीब 121 बैंकों का भविष्य अंधेरे में है. 38 लाख से भी ज्यादा लोगों की नौकरी जाने से बेरोजगारी बढ़ेगी, जिसका सीधा प्रभाव चीन के अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. चीन की राष्ट्रीय जीडीपी में आवास बाजार की हिस्सेदारी 30 फीसदी है. जिससे आर्थिक संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा हो गया है, और चीन की अर्थव्यवस्था को अस्थिर बना दिया है.
इस लिए, चीन की आर्थिक स्थिति, आवास बाजार की स्थिरता पर निर्भर है. बीजिंग को आवास बाजार के अनुपात को कम करने और आवास की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई करना अनिवार्य है. लेकिन बीजिंग ने कहा है कि वह निर्यात में मंदी के जवाब में घरेलू मांग को विकसित करेगा जो चीन द्वारा नियंत्रित नहीं है. इस वर्ष की पहली छमाही में, खपत अभी भी सकल घरेलू उत्पाद का केवल 53 फीसदी हिस्सा है, जबकि अमेरिका का खपत का 70 फीसदी है. अमेरिकियों की बचत दर कम है. जब तक खपत में हर साल 2 फीसदी की वृद्धि होती है, तब तक अर्थव्यवस्था स्थिर रह सकती है. चीन में स्थिति अलग है. इस वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में आर्थिक मंदी ठीक है क्योंकि खपत में सुधार नहीं हुआ है जैसा कि महामारी के बाद अपेक्षित था. बीजिंग मौजूदा आर्थिक मंदी के संकट को बचाने के लिए उत्सुक है और उसे कुछ प्रतिकूल आर्थिक नीतियों को बदलना होगा. संयुक्त राज्य अमेरिका के ब्लैकस्टोन इन्वेस्टमेंट इंस्टीट्यूट ने हाल ही में कहा था कि उम्मीद है कि बीजिंग मुद्रा, वित्त और नियमों के मामले में आराम करने का फैसला करेगा.
जिनपिंग तीसरी क्रांति लाना चाहते हैं
लेकिन, शी जिनपिंग तीसरे सुधार की बातें करते हैं. जिनपिंग देश में तीसरी क्रांति के माध्यम से नहीं युग का निर्माण करना चाहते है, जो संघर्ष पर आधारित माओत्से तुंग की पहली क्रांति और सुधार और खुलेपन पर आधारित देंग शियाओपिंग की दूसरी क्रांति से अलग है. शी जिनपिंग की तीसरी क्रांति में निजी उद्यमों के उन्मूलन, सामान्य समृद्धि और आवास बाजार में सुधार जैसी महत्वपूर्ण सामग्री शामिल है, जिसका सकारात्मक प्रभाव भविष्य में देखने को मिल सकता है, लेकिन सीसीपी के जीवित रहने और उन्हें अपने शासन को मजबूत करने के लिए आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना ही पड़ेगा.
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