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इधर ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन होने वाला है
वेदप्रताप वैदिक
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
इधर ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन होने वाला है, जिसमें चीन और भारत के नेता आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाएंगे और उधर चीन ने पाकिस्तान के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को बड़ी राहत दिला दी है.
अमेरिका और भारत ने मिलकर मक्की का नाम आतंकवादियों की विश्व सूची में डलवाने का प्रस्ताव किया था लेकिन चीन ने सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के नाते अपना अड़ंगा लगा दिया. अब यह काम अगले छह माह तक के लिए टल गया है.
यदि चीन अड़ंगा नहीं लगाता तो मक्की पर भी वैसे ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग जाते, जैसे कि जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर पर लगे हैं. उसके मामले में भी चीन ने अड़ंगा लगाने की कोशिश की थी. समझ में नहीं आता कि जिन आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार ने काफी सख्त कदम उठाए हैं, उनकी हिमायत चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर क्यों करना चाहता है?
क्या इसे वह पाकिस्तान के साथ अपनी 'इस्पाती दोस्ती' का प्रमाण मानता है? खुद पाकिस्तान की सरकारें इन आतंकवादियों से तंग आ चुकी हैं. इन्होंने पाकिस्तान के आम नागरिकों की जिंदगी तबाह कर रखी है. ये डंडे के जोर पर पैसे उगाहते हैं, कानून-कायदों की परवाह नहीं करते हैं.
पाकिस्तान की सरकारें इन्हें सींखचों के पीछे भी डाल देती हैं लेकिन फिर भी चीन इनकी तरफदारी क्यों करता है? इससे चीन को क्या फायदा है? चीन को बस यही फायदा है कि ये आतंकवादी भारत को नुकसान पहुंचाते हैं. यानी भारत का नुकसान ही चीन का फायदा है. चीन की यह सोच किसी दिन उसके लिए बहुत घातक सिद्ध हो सकती है.
Rani Sahu
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