सम्पादकीय

बाज आए चीन

Subhi
15 Dec 2022 3:20 AM GMT
बाज आए चीन
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अरुणाचल प्रदेश के याग्त्से में एलएसी पर शुक्रवार 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों की ओर से किया गया अतिक्रमण का प्रयास चिंताजनक है। इसने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की संभावना को और दूर कर दिया है। हालांकि, जैसा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया, सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने बहादुरी का परिचय देते हुए उन चीनी सैनिकों को वापस खदेड़ दिया।

नवभारत टाइम्स; अरुणाचल प्रदेश के याग्त्से में एलएसी पर शुक्रवार 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों की ओर से किया गया अतिक्रमण का प्रयास चिंताजनक है। इसने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की संभावना को और दूर कर दिया है। हालांकि, जैसा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया, सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने बहादुरी का परिचय देते हुए उन चीनी सैनिकों को वापस खदेड़ दिया। भारतीय क्षेत्र में घुसने की उनकी कोशिश नाकाम कर दी गई। इस क्रम में दोनों तरफ के कुछ सैनिक घायल जरूर हुए, लेकिन अच्छी बात यह रही कि किसी की जान नहीं गई और न ही कोई गंभीर रूप से जख्मी है। मगर इससे इस तथ्य की गंभीरता कम नहीं हो जाती कि चीन ने एक बार फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया है। यह प्रयास ऐसे समय हुआ है, जब कुछ ही दिन पहले चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास पर एतराज किया था।

यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि इसी महीने भारत ने जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण की है, जिसके एक साल के कार्यकाल को अधिक से अधिक सार्थक बनाने की कोशिशों में वह लगा हुआ है। जी-20 के ही शिखर सम्मेलन के दौरान बाली में पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात भी हुई थी। हालांकि दोनों के बीच कोई बैठक या बातचीत नहीं हुई, लेकिन दोनों गर्मजोशी से जरूर मिले थे। तीन महीना पहले यानी इसी सितंबर में दोनों देश पूर्वी लद्दाख के गोगरा हॉटस्प्रिंग इलाके से अपने सैनिकों को पीछे लेने पर सहमत हुए थे, जिसे मई 2020 से शुरू हुई कमांडर लेवल बातचीत में उठा आखिरी विवादित बिंदु कहा गया।

साफ है कि गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों पक्षों के रिश्ते सामान्य भले न हुए हों, लेकिन लगातार बातचीत के जरिए असहमति और विवाद के बिंदुओं पर न्यूनतम सहमति बनाने की कोशिशें काफी हद तक कामयाब हो रही थीं। ऐसे में अचानक हुई यह झड़प न केवल चौंकाने वाली है बल्कि इसके पीछे का मकसद समझना भी मुश्किल है। हालांकि जानकारों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के याग्त्सी इलाके में एलएसी को लेकर दोनों देशों की समझ में अंतर है और इसलिए पहले भी वहां ऐसी झड़पें हो चुकी हैं। इस बार झड़प के ठीक बाद जिस तत्परता से फ्लैग मीटिंग करके मसले को सुलझाया गया, वह पॉजिटिव संकेत है। दोनों देशों के रिश्तों में पॉजिटिविटी के इस फैक्टर के बने रहने की कामना करते हुए भी इतना तो कहना ही होगा कि इस झड़प ने सीमा पर विश्वास का माहौल बनाने की कोशिशों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे रिश्तों के सामान्य होने की प्रक्रिया पहले से थोड़ी और मुश्किल हो गई है।

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