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- बड़ी चुनौती बनता चीन:...
भूपेंद्र सिंह| चीन पर राज करने वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीसीपी की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर चीनी राष्ट्रपति शी चिंनफिंग ने थ्येनआनमन चौक से अपना जो भाषण दिया, उससे न केवल चीन की विस्तारवादी सोच झलकती है, बल्कि उसके दंभ के कारण विश्व के सामने आने वाली चुनौतियों की भी झलक मिलती है। माओत्से तुंग ने जब सोवियत संघ से प्रेरित होकर 1 जुलाई 1921 को सीसीपी की नींव रखी थी, तब उनका मकसद चीन को गरीबी से बाहर निकालकर देश को उस मुकाम पर पहुंचाना था, जहां वह तीन-चार सौ वर्ष पहले था। एक समय भारत और चीन, विश्व व्यापार में अपना आधिपत्य रखते थे, लेकिन समय के साथ दोनों पिछड़ गए और उनकी गिनती गरीब देशों में होने लगी। कभी विश्व व्यापार में चीन की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो 1941 में आधा प्रतिशत पर आ गई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे रहे कि चीनी नेताओं को अमीर देशों के सामने अपमानित होना पड़ा। इस अपमान से विचलित हुए बगैर चीनी नेता अपने देश को आगे ले जाने की रूपरेखा बनाने में जुटे रहे।