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- छिलकों की छाबड़ी :...
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बारिश न आए तो जि़ंदगी परेशान हो जाती है, ज़्यादा आ जाए तो दुखी हो जाती है । कृत्रिम बुद्धि ने इंसानी जि़ंदगी पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया है लेकिन बारिश करवाने या रुकवाने के लिए देवताओं को पटाने का रिवाज़ कायम है। हवन, यज्ञ, टोने टोटके बदस्तूर किए जाते हैं। मानसून सही समय पर आने के अनुमान बहुत जल्दी बरसने शुरू हो जाते हैं लेकिन बारिश आने के लिए नहीं मानती। जब आती है तो कठिनाइयों की सौगात भी साथ में लाती है। कुछ देर की बारिश से बाज़ार, मुहल्ले, सडक़ें, गांव व शहर झील हो जाते हैं। पीने का पानी नहीं मिलता, बिजली चली जाती है। नेताओं को परेशान होना पड़ता है क्योंकि अनेक जल सम्बंधित योजनाओं के उद्घाटन भी तो बह जाते हैं। सकारात्मक यह है कि सडक़ों की संभावित मरम्मत के हट्टे कट्टे एस्टीमेट्स का निर्माण शुरू हो जाता है। सडकों की बरसाती मरम्मत भी शुरू हो जाती है। कुछ लोग नाव बेचने का धंधा शुरू करना चाहते हैं लेकिन नाव बिकनी शुरू होते ही बारिश रुक जाती है। मैं इस बात को यकीन के साथ मानता हूं कि बारिश हमेशा ग़लत समय पर आती है, इसलिए कुछ समझदार लोगों से बात की कि बारिश कब होनी चाहिए। बौछारों से बचते, आफिस पहुंचते और संभलते हुए जनाब ने स्पष्ट दिशानिर्देश दिए कि बारिश दिन में दस बजे के बाद होनी चाहिए और साढ़े चार बजे से पहले रुक जानी चाहिए या फिर रात को दस बजे के बाद हो। छुट्टी के दिन बारिश बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। जनाब ने ठीक कहा बारिश अब उनकी मजऱ्ी से होनी चाहिए। बारिश का ग़लत समय पर आना तो ग़लत है ही, कहीं भी बरस लेना और ज़्यादा ग़लत है। जहां चाहिए वहां न बरसना, किसानों को भरमाते, तरसाते रहना फिर तैयार या खेत में पड़ी कटी फसल पर पानी फेरना तो ऊपर वाले की मनमानी ही है। बारिश के बारे नेताजी ब्यान न बहाएं हो नहीं सकता।
उन्होंने दिल से कहा बारिश बेहद रोमांटिक चीज़ है। फिर दिमाग़ से कहा कि बारिश अब परेशान ही करती है। नालियां, सडक़ें, खड्डे पानी से भर जाते हैं और हमारी गाड़ी गंदी हो जाती है। जनता का दु:ख हमसे सहन नहीं होता । हम भी इंसान हैं, हमें बीपी और पत्नी को लोबीपी हो जाता है। ऊपर वाले को ऐसा नहीं करना चाहिए, एक बात और नोट कीजिए, हमेशा व्यवस्था को नहीं कोसते रहना चाहिए। कुछ लोग यूं ही कहते रहते हैं कि व्यवस्था की गलती के कारण बारिश ज़्यादा होती है। सब ठीक फरमा रहे हैं। हमें ऐसा कुछ नहीं चाहिए जो परेशानी पैदा करे, तभी तो चाहते हैं कि जीवन अमृत देने वाली बारिश भी हमारी मजऱ्ी से हो। मेरी पत्नी का सुझाव है कि बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए प्रेरणा लेने देने के लिए गायन व डांस का मासिक राष्ट्रीय आयोजन, प्रशासन को हर शहर में करवाना चाहिए जो मिनरल वाटर बाटलिंग कंपनी द्वारा प्रायोजित हो। किसी नेता के संबंधी को यह नैतिक जि़म्मेवारी पकड़ लेनी चाहिए जो इस प्रोजेक्ट को सुफल बनाने में दिन रात को पानी-पानी कर डाले। इस सन्दर्भ में ‘इंडियन रेन वाटर सेविंग आइडल’ का आयोजन भी सक्रिय भूमिका निभा सकता है जिसके पुरस्कार वरुणदेव के मेकअप में कुटिल राजनेता के हाथों दिए जाने चाहिए।
प्रभात कुमार
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
Rani Sahu
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