- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- तीसरी लहर में बच्चे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लैंसेट की यह स्टडी रिपोर्ट बड़ी महत्वपूर्ण है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है। 'लैंसेट कोविड-19 कमिशन इंडिया टास्क फोर्स' ने एक्सपर्ट्स ग्रुप की मदद से दोनों लहरों के दौरान अस्पतालों के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कहा है कि भारत में बच्चों के संक्रमण की स्थिति कमोबेश वैसी ही रही है, जैसी दुनिया के अन्य हिस्सों में। औसतन पांच लाख संक्रमित बच्चों में 500 को ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, इनमें भी दो फीसदी की मौत हुई। मौत वाले इन मामलों में 40 फीसदी केस ऐसे थे. जिनमें बच्चे दूसरी गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त थे। इसलिए स्टडी ग्रुप की साफ राय है कि तीसरी लहर को बच्चों के लिए विशेष तौर पर खतरनाक मानने की कोई वजह नहीं है। दरअसल, दूसरी लहर ने देश में जिस तरह के भयावह हालात बना दिए थे, उसमें आम लोगों के बीच तरह-तरह की आशंकाएं पैदा होना स्वाभाविक था। इसी माहौल में कुछ एक्सपर्ट ग्रुप्स की तरफ से भी ऐसे बयान आए, जिनसे आशंकाओं को बल मिला।