सम्पादकीय

युद्ध की भेंट चढ़ते बच्चे

Gulabi Jagat
24 March 2022 6:30 AM GMT
युद्ध की भेंट चढ़ते बच्चे
x
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक 24 फरवरी को रूसी हमला शुरू होने के बाद से अब तक कम से कम 59 बच्चे मारे गए हैं
कहा जाता है कि स्कूल बच्चों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल होना चाहिए। युद्ध के दूसरे सिद्धांत भी बहुत साफ हैं। इनमें शामिल है कि बच्चों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। लेकिन स्पष्ट है कि हर युद्ध की तरह यूक्रेन में भी इन सिद्धांतों का पालन नहीं हो रहा है। ukraine russia war
ये कहानी नई नहीं है। युद्ध या अकाल जैसी विभीषिकाओं की सबसे ज्यादा कीमत हमेशा ही बच्चों को चुकानी पड़ती है। बुजुर्ग, महिलाएं और अन्य रूपों से कमजोर तबके इसके अन्य बड़े शिकार होते हैँ। यही यूक्रेन में भी हो रहा है। कहा जा सकता है कि युद्ध जितना लंबा खिंचेगा, ये त्रासदी उतनी गंभीर होती जाएगी। जबकि फिलहाल सूरत यह है कि युद्ध के जल्द खत्म होने की कोई संभावना नजर नहीं आती। बल्कि तमाम संबंधित पक्षों की दिलचस्पी इसे लंबा खींचने में दिख रही है। बहरहाल, बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाले समूह सेव द चिल्ड्रन का कहना है कि युद्ध के कारण लाखों यूक्रेनी बच्चे गंभीर खतरे में हैं। संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जो बच्चे अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं उन्हें तुरंत बचाया जाना चाहिए। यूक्रेन के अस्पतालों और स्कूलों पर बढ़ते हमलों के कारण अब 60 लाख से अधिक बच्चे गंभीर खतरे में हैं, जिन्हें तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है। गौरतलब है कि कि यूक्रेन में युद्ध का एक महीना पूरा हो रहा है। रूसी गोलाबारी के कारण 464 स्कूल और 42 अस्पताल वहां क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक 24 फरवरी को रूसी हमला शुरू होने के बाद से अब तक कम से कम 59 बच्चे मारे गए हैं। इस बीच यूक्रेन में लगातार हो रहे मिसाइल हमलों और गोलाबारी के कारण अब तक 15 लाख से अधिक बच्चे देश से भागने को मजबूर हो चुके हैं। कहा जाता है कि स्कूल बच्चों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल होना चाहिए। इसे कि भय, चोट या मौत से मुक्त होना चाहिए। लेकिन युद्ध के माहौल में ऐसी अपेक्षाएं निराधार साबित होने लगती हैँ। युद्ध के दूसरे सिद्धांत भी बहुत साफ हैं। इनमें शामिल है कि बच्चों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। साथ ही अस्पतालों या स्कूलों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। लेकिन स्पष्ट है कि हर युद्ध की तरह यूक्रेन में भी इन सिद्धांतों का पालन नहीं हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने यूक्रेन में युद्ध के कारण नागरिकों के हताहत होने पर अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि 24 फरवरी से 19 मार्च के बीच कुल 2,361 नागरिक प्रभावित हुए, जिसमें 902 लोग मारे गए और 1,459 घायल हुए हैं। आशंका है कि मरने वालों की असल संख्या इससे बहुत अधिक हो सकती है। ukraine russia वॉर
नया इण्डिया के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story