सम्पादकीय

शह-मात का खेल‌‍

Gulabi
19 Sep 2021 1:28 PM GMT
शह-मात का खेल‌‍
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पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे कर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने दो साफ संकेत दे दिए हैं

राजकुमार सिंह।

कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर हो रही विधायक दल की बैठक से पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे कर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने दो साफ संकेत दे दिए हैं : एक, सोनिया गांधी किसी को भी नया मुख्यमंत्री बनाएं, उसकी राह आसान नहीं होगी। दो, कैप्टन और कांग्रेस का साथ अब ज्यादा नहीं बचा है। सीधे राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बातचीत में कैप्टन की टिप्पणियों से साफ है कि कांग्रेस आलाकमान और उनके बीच अविश्वास गहरा हो चुका है। यह बहस का विषय है कि इसके लिए वह खुद ज्यादा जिम्मेदार हैं या फिर इसका श्रेय उनके विरोधियों के एक सूत्रीय अभियान को दिया जाए। यह सही है कि 2017 में भी कैप्टन कांग्रेस की पसंद कम, मजबूरी ज्यादा थे। इसके बावजूद वह प्रताप सिंह बाजवा सरीखे पुराने कांग्रेसियों के विरोध को सफलतापूर्वक झेल गये थे, लेकिन क्रिकेटर से राजनेता बने और भाजपा से कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू अंतत: उनकी मुख्यमंत्री पद से विदाई कराने में सफल हो गए। बेशक, यह कांग्रेस की राजनीति पर भी एक सवालिया निशान है कि दूसरे दल से आया नेता पार्टी के दो बार के मुख्यमंत्री पर भारी पड़ा। वह भी तब, जब नौ माह से केंद्र के कृषि कानूनों के विरुद्ध जारी किसान आंदोलन के चलते कैप्टन की लोकप्रियता बेहतर मानी जा रही थी। हालांकि कैप्टन इससे इंकार करते हैं, पर सिद्धू का आरोप है कि चुनावी वादे पूरे नहीं किए गए, पर छह माह में नया मुख्यमंत्री क्या चमत्कार कर देगा? संतुलन बिठाने की खातिर कैप्टन की मर्जी के खिलाफ सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बावजूद विधानसभा चुनाव से बमुश्किल छह महीने पहले अब मुख्यमंत्री भी बदलने का आत्मविश्वास क्या कांग्रेस आलाकमान को भाजपा द्वारा गुजरात में अचानक मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार ही बदल देने से आया है! अगर ऐसा है तो यह अति विश्वास आत्मघाती भी साबित हो सकता है, क्योंकि पंजाब की राजनीति भी अब दो ध्रुवीय नहीं रह गई है। आम आदमी पार्टी इस बार भी सत्ता की दावेदार होगी। अकाली दल भी बसपा से गठबंधन कर चुनावी बिसात बिछा चुका है। अकाली दल की पुरानी जोड़ीदार भाजपा अवश्य इस बार अलग-थलग नजर आ रही थी, लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ होने के लाभ के अलावा कैप्टन की नाराजगी भी अब उसके लिए नयी संभावनाओं को जन्म दे सकती है। जाहिर है, पंजाब के चुनावी समीकरण अब नए सिरे से बनेंगे, जिसमें नए मुख्य्मंत्री के चेहरे और कैप्टन की नयी चाल की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। तभी पता चलेगा कि किसने मास्टर स्ट्रोक लगाया, कौन हिट विकेट हो गया।
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