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- सीमाओं की सुरक्षा पर...
संजय गुप्त : पंजाब, बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में सीमा सुरक्षा बल को तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तारी का अधिकार देने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध यही बताता है कि अब सीमाओं की सुरक्षा का सवाल भी दलगत राजनीति का विषय बन गया है। इस फैसले का जहां असम सरकार ने स्वागत किया है, वहीं बंगाल और पंजाब की सरकारें आपत्ति जता रही हैं। इसके साथ ही कुछ और विरोधी दल भी इस फैसले का विरोध करने के लिए आगे आ गए हैं। उनका तर्क है कि इससे संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। आखिर कैसे, क्योंकि सीमा सुरक्षा बल को जो अधिकार दिए गए हैं, वे राजस्थान में पहले से ही 50 किमी के दायरे में लागू हैं और गुजरात में तो 80 किमी के दायरे में प्रभावी थे। अब वहां उन्हें 80 से घटाकर 50 किमी कर दिया गया है। क्या इस फैसले के विरोधी यह कहना चाहते हैं कि राजस्थान और गुजरात में संघीय ढांचे के खिलाफ काम किया जा रहा है? स्पष्ट है कि संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचने या फिर उसकी भावना के विपरीत काम करने के आरोप महज राजनीति से प्रेरित हैं और उनका मकसद केवल विरोध के लिए विरोध करना है। इसका पता इससे भी चलता है कि जहां कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेता केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उसे सही बता रहे हैं।