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- आतंक का बदलता चरित्र
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने आतंकवाद के जिन 6 साजि़शकारों को गिरफ्तार किया है, उससे एक और पाकपरस्त साजि़श बेनकाब हुई है। संतोष है कि देश के कुछ बड़े और प्रमुख शहर दहलने से बच गए। अभी तो साजि़श का अर्द्धसत्य ही सामने आया है। अभी 16 और आतंकियों की धरपकड़ शेष है। उन्हें बांग्लाभाषी बताया जा रहा है और वे भी साजि़श का हिस्सा रहे हैं। उन्हें दबोचने के बाद निष्कर्ष तक पहुंचना आसान होगा कि आतंक का चक्रव्यूह रचने वाले किरदार कौन-कौन हैं और उनकी भूमिका क्या रही है? अलबत्ता इतना खुलासा जरूर हुआ है कि राजधानी दिल्ली समेत अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज और मुंबई आदि प्रमुख शहर आतंकियों के निशाने पर थे। कुछ स्थलों की रेकी भी की जा चुकी थी। रामलीला मंचन, नवरात्र और दुर्गा-पूजा पंडालों में उमड़ी भीड़ पर विस्फोटक हमले कर, नरसंहार को अंजाम देना, आतंकियों के मंसूबे थे। वे इस बार हमारी दीवाली भी काली करने की फिराक में थे। फिलहाल इन शहरों में सुरक्षा-व्यवस्था अति अलर्ट कर दी गई है। शर्मनाक तथ्य यह है कि 'जयचंद' की तरह कुछ काली भेड़ें भी साजि़श की किरदार थीं। बहरहाल मंसूबे और साजि़श नाकाम रहे हैं।
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