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- बदली दुनिया का...

देखते ही देखते लोगों के जीने का, बात करने का, अपने आप को पेश करने का सलीका बदल गया। पहले कहा जाता था कि 'बन्धु तुम्हारे पापों का घड़ा इतना भर गया है कि तुम तो अब किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं रहे।' ऐसी महामारी फैली है कि किसी को मुंह दिखाना, नंगे मुंह चमक-दमक कर निकलना ही गुनाह हो गया। उसके बाद से आज सड़क पर चलता हर बशर नकाबदारी में नज़र आता है। क्या यह चचा जान का वचन यह साबित नहीं कर देता कि 'इस दुनिया के सब चोर-चोर, कोई बड़ा चोर कोई छोटा चोर।' जहां से आपने महीनों पहले उधार ले रखा था, और वापस चुकाने की आपकी कोई मंशा नहीं थी, वहां भी अब आप मज़े से यह मास्क ओढ़ कर जा सकते हैं। चेहरा न दिखाने पर कोई पहचानेगा नहीं। कोई धृष्ट महाजन आपका नकाब हटा आपको पहचानने की कोशिश करे तो बेशक कानून परस्तों के सामने चिल्ला दीजिए, 'हुज़ूर यह हमारा नकाब छीन कर हमें कानून के उल्लंघन के लिए मजबूर कर रहा है।
By: divyahimachal
