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- उम्मीद के साथ बदलाव

केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव न केवल स्वाभाविक, बल्कि जरूरी सा हो गया था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली इस दूसरी सरकार ने जहां अनेक महत्वपूर्ण फैसले लेकर दुनिया को चौंकाया, वहीं कुछ ऐसे मोर्चे भी रहे, जहां संतोषजनक परिणाम हाथ नहीं आए। अनेक दिग्गज मंत्रियों के इस्तीफे और कई नए नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे के जो संकेत हैं, उनकी विवेचना जरूर होनी चाहिए। सरकार को यह यथोचित एहसास है कि उससे लोगों को कहीं ज्यादा उम्मीदें हैं। विशेष रूप से चिकित्सा के मोर्चे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और राज्य मंत्री के स्तर पर बदलाव साफ इशारा है। कोरोना ने पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह किया, साथ ही, चिकित्सा व्यवस्था भी लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। मंत्रिमंडल में बदलाव की कुल व्यंजना यही है कि सरकार अपना चेहरा बदलकर आगे बढ़ना चाहती है। सहज ही कुछ बदलने लायक था, तभी तो बदला गया है। यह बदलाव जहां सरकार के पक्ष को मजबूत करेगा, वहीं लोगों के विश्वास को भी बढ़ाएगा। अमूमन देश में छोटे-छोटे बदलाव मंत्रिमंडल के स्तर पर होते थे, लेकिन यह बड़ा बदलाव बदली हुई मानसिकता को भी जाहिर करता है। शायद केंद्र सरकार प्रदर्शन के स्तर पर समझौते के लिए तैयार नहीं है।
