सम्पादकीय

हर मोर्चे पर बदलाव लाने वाली भागीदारी, सत्ता के गलियारों में निर्णायक भूमिका में आने वाली महिलाएं स्वयं से जुड़े मुद्दों पर अधिक मुखर होंगी

Triveni
9 July 2021 8:06 AM GMT
हर मोर्चे पर बदलाव लाने वाली भागीदारी, सत्ता के गलियारों में निर्णायक भूमिका में आने वाली महिलाएं स्वयं से जुड़े मुद्दों पर अधिक मुखर होंगी
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समावेशी और संतुलित सोच के साथ किए गए मोदी सरकार के विस्तार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ा है।

Author: Tanसमावेशी और संतुलित सोच के साथ किए गए मोदी सरकार के विस्तार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ा है। अब मंत्रिपरिषद में महिला मंत्रियों की कुल संख्या 11 हो गई है। नवनियुक्त चेहरों में दर्शना जरदोश, प्रतिमा भौमिक, शोभा करंदलजे, भारती पवार, मीनाक्षी लेखी, अनुप्रिया पटेल और अन्नपूर्णा देवी शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ ही राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और रेणुका सिंह सरूता पहले से ही सरकार का हिस्सा हैं।

सरकार में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को तरजीह देना कई मायनों में अहम है। देश के अलग-अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली सातों महिला केंद्रीय मंत्री कहीं न कहीं राजनीतिक पटल पर आधी आबादी की बढ़ती हिस्सेदारी को रेखांकित करती हैं। गौरतलब है कि अपनी सरकार में महिलाओं को जिम्मेदारी दिए जाने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू से ही नई लकीर खींची है। भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी मंत्रिपरिषद में नौ महिला मंत्री शामिल थीं। उसमें एक समय छह महिलाएं तो कैबिनेट मंत्री थीं।
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क्या महिला सांसदों पर जताया गया भरोसा आगे के लिए पुख्ता बदलाव की बुनियाद बनेगा?
उम्मीद है कि आपदा के दौर में कैबिनेट विस्तार में महिला सांसदों पर जताया गया यह भरोसा आगे के लिए भी पुख्ता बदलाव की बुनियाद बनेगा। परंपरागत पितृसत्तात्मक समाज, घरेलू जिम्मेदारियां, दोयम दर्जे की सामाजिक सोच, लैंगिक भेदभाव और राजनीति में पुरुषों के वर्चस्व जैसे कई कारणों के चलते भारत में आज भी महिलाओं की सियासी भागीदारी कम ही है। उम्मीद है कि सत्ता के गलियारों में पहुंचकर निर्णायक भूमिका में आने वाली महिलाएं स्त्री शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता जैसे मुद्दों पर मुखर होकर अपनी बात रखेंगी।

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नीतियों और योजनाओं में हल तलाशने के मार्ग भी सुझाएंगी
आधी आबादी की समस्याओं को न केवल समझेंगी, बल्कि नीतियों और योजनाओं में उनका हल तलाशने के मार्ग भी सुझाएंगी। इस उम्मीद को बल देने वाली एक वजह यह भी है कि महिलाओं का राजनीति में बढ़ता प्रतिनिधित्व आम महिलाओं को भी मुखर और आत्मविश्वासी बनाता है। यही कारण है कि सियासत में महिलाओं की भागीदारी समाज की स्त्रियों की सामाजिक-पारिवारिक परिस्थितियों की बानगी भी कही जाती है।
सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने की जरूरत
सुखद है कि समय के साथ महिलाओं के हालात और सियासी दुनिया में हिस्सेदारी, दोनों में बदलाव आया है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि राजनीति में आम स्त्रियों की जमीन पुख्ता करने के लिए हर स्तर पर उनकी सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए सामाजिक-पारिवारिक और आर्थिक मोर्चे पर भी उनका निर्णयकारी भूमिका में आना आवश्यक है। साथ ही समाज की सोच और अपनों की संवेदनाओं के धरातल पर भी सकारात्मक बदलाव जरूरी है। तभी अपेक्षित परिवर्तन साकार हो सकेगा।



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