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- मंथन का मौका
Written by जनसत्ता: अमेरिका के टेक्सास नगर के एक प्राथमिक विद्यालय में एक अट्ठारह वर्षीय छात्र ने अंधाधुंध गोलियां बरसा कर दो शिक्षकों और उन्नीस छात्रों सहित इक्कीस निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया। घटना ने अमेरिका सहित पूरे विश्व को झझकोर कर रख दिया है। यद्यपि ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, तथापि प्राथमिक विद्यालयों में इस तरह की घटनाओं का बार-बार होना पश्चिमी जगत और अतिविकसित देशों की शिक्षा पद्धति और सामाजिक नैतिकता पर प्रश्न अवश्य खड़े करता है।
आत्मरक्षा के नाम पर खतरनाक हथियारों पर नाबालिगों तक की सहज पहुंच विध्वंस को आमंत्रण देती महसूस होती है। विकसित देशों में सिकुड़ता सामाजिक ताना-बाना और पारिवारिक दायरा बच्चों को अवसाद की ओर धकेल रहा है। अतिस्वच्छंदता और मूलभूत अधिकारों का दुरुपयोग अवश्य ही उनको कुछ बुराइयों की तरफ आकर्षित कर रहा है। इस प्रकार की घटनाओं की पुरावृत्ति के कारण अतिसंपन्नता और अतिविकास का आखिरी छोर कहीं विनाश तो नहीं बन जाएगा, यह यक्ष प्रश्न तमाम विकसित और विकासशील देशों को मंथन करने पर विवश करेगी।
जापान की राजधानी तोक्यो में आयोजित चौथा क्वाड शिखर सम्मेलन अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन साबित हुआ। इस सम्मेलन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा के साथ महत्त्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती मनमानी को रोकने तथा इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवंं मुक्त समुद्री व्यापार को सुनिश्चित करने हेतु आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। साथ ही समकालीन विश्व में उभरती नई चुनौतियों जैसे आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक महामारियों से निपटने की रणनीतियों का भी उल्लेख हुआ।
इस समूह के देशों ने हिंद प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क (आइपीईएफ) की घोषणा की। इसके चार प्रमुख बिंदु है- मुक्त और खुले व्यापार को आगे बढ़ाना, स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना और कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर बल देना। तीसरा, आपूर्ति शृंखला में आने वाली बाधाओं का समाधान प्रस्तुत करना। चौथा तथा अंतिम बिंदु कराधान व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने तथा भ्रष्टाचार को रोकने के प्रति प्रतिबद्धता। इस क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधि होने के नाते भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत के तरफ से हर संभव सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।
उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में क्वाड का यह आर्थिक आयाम चीन के वित्तीय साम्राज्यवाद और विस्तारवादी नीति पर अंकुश लगाने में सफल होगा। हालांकि अमेरिकी नेतृत्व द्वारा प्रस्तावित आइपीईएफ की घोषणा के सफलता के प्रति पूर्ण आश्वस्त नहीं हो सकते। इसलिए भारत को क्वाड में अपने आक्रामक रुख के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है ताकि चीन के प्रति रिश्ते संतुलित बने रहे।