सम्पादकीय

चैंपियन शटलवीर

Rani Sahu
16 May 2022 7:22 PM GMT
चैंपियन शटलवीर
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आज गर्व, गौरव और जश्न का दिन है। कोई राजनीति नहीं, कोई समस्या नहीं, सिर्फ बैडमिंटन की बात करेंगे। इस खेल के मैदान में एक बार फिर राष्ट्रगान गूंजा और ‘तिरंगा’ लहराया गया

आज गर्व, गौरव और जश्न का दिन है। कोई राजनीति नहीं, कोई समस्या नहीं, सिर्फ बैडमिंटन की बात करेंगे। इस खेल के मैदान में एक बार फिर राष्ट्रगान गूंजा और 'तिरंगा' लहराया गया। भारतीय टीम ने प्रतिष्ठित थॉमस कप के फाइनल में 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया की टीम को पराजित किया और चैंपियन की ट्रॉफी जीती। यह भारत के हिस्से की अभूतपूर्व, अकल्पनीय, अद्भुत जीत है। थॉमस कप और उबेर कप क्रमशः पुरुषों और महिलाओं की टीम स्पर्द्धाएं हैं। दरअसल विश्व स्तर पर ये बैडमिंटन की 'प्रतीक' हैं। इन मुकाबलों के 73 साला इतिहास में भारत पहली बार फाइनल में पहुंचा और चैंपियन बना। यह नए भारत को परिभाषित करती जीत है। बैडमिंटन भारत के प्रमुख खेलों में नहीं रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों की विश्व स्तरीय उपलब्धियां स्थापित कर रही हैं कि बैडमिंटन हमारे राष्ट्रीय खेल से कमतर भी नहीं है। अब भारत चैंपियन शटलवीरों का देश है। हमारे शटलवीरों ने साबित कर दिया है कि वे विश्व चैंपियन खिलाड़ी हैं। भारतीय टीम ने 2016 की चैंपियन डेनमार्क को भी पराजित किया और खिताबी मुकाबले में शामिल हुई। हमारे शटलवीरों ने 5 बार की चैंपियन मलेशिया के खिलाडि़यों को भी चित किया। जर्मनी और कनाडा की टीमों का भी सूपड़ा साफ किया। आज भारत भी थॉमस कप विजेता है। चैंपियनों की सूची में इंडोनेशिया, चीन, मलेशिया, जापान, डेनमार्क के बाद भारत ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर देश को गौरवान्वित किया है। दरअसल हमारे शटलवीर बुनियादी तौर पर चैंपियन हैं।

किदांबी श्रीकांत विश्व के नंबर एक खिलाड़ी रह चुके हैं। वह विश्व चैंपियनशिप के उपविजेता हैं। थॉमस कप मुकाबलों में उन्होंने एक भी हार का मुंह नहीं देखा। वह अजेय रहकर चैंपियन बने हैं। लक्ष्य सेन सिर्फ 20 वर्षीय हैं और विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक के साथ-साथ ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के उपविजेता हैं। लक्ष्य भारत का भविष्य भी हैं। ये खिलाड़ी पेशेवर सर्किट में भी खिताब या बड़ी जीत हासिल करते रहे हैं। भारत के पास एच.एस.प्रणय और बी.साईं प्रणीत जैसे खिलाड़ी भी हैं, जो अपने खेल की रंगत वाले दिन विश्व के शीर्ष खिलाडि़यों को हराने का इतिहास लिख चुके हैं। चिराग-सात्विक की जोड़ी विश्व वरीयता प्राप्त है और सबसे खतरनाक जोडि़यों में उसे गिना जाता है। वे दुनिया के तमाम युगल खिलाडि़यों को परास्त कर चुके हैं। बहरहाल एक लक्ष्य और राष्ट्रीय इच्छा थी कि भारत थॉमस कप विजेता भी बने। वह भी साकार हो गया। हम 1952, 1955 और 1979 में थॉमस कप के सेमीफाइनल तक पहुंचे थे। उसके बाद खाली हाथ लौटते रहे हैं। हालांकि भारत ने प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद सरीखे चैंपियन शटलवीर भी दिए हैं, जिन्होंने ऑल इंग्लैंड खिताब भी जीते, लेकिन थॉमस कप टीम प्रतियोगिता है। जो टीम 5 में से 3 खिलाडि़यों के मैच जीतेगी, वही विजेता बनेगी। इस बार श्रीकांत के साथ लक्ष्य ने भी जीत की नींव रखी और चिराग-सात्विक ने उसे आगे बढ़ाया, नतीजतन आज हम थॉमस कप चैंपियन हैं। आज लक्ष्य और श्रीकांत विश्व के चोटी के 10 शटलवीरों की जमात में शामिल हैं। महिलाओं में भी साइना नेहवाल विश्व की सर्वोच्च खिलाड़ी रही हैं।
पीवी सिंधु विश्व चैंपियन रही हैं और ओलंपिक में लगातार दो पदक जीत चुकी हैं। दुर्भाग्य है कि हमारी महिला शटलवीर उबेर कप के मुकाबलों में बेहतर खेल का प्रदर्शन नहीं कर पाईं। देश अब भी उनसे उम्मीद रखता है। प्रधानमंत्री मोदी ने विजयी क्षणों में फोन कर शटलवीरों से बातचीत की। उन्हें बधाई दी और प्रधानमंत्री आवास पर आने का न्यौता भी दिया। सरकार ने एक करोड़ रुपए इनाम में देने की घोषणा भी की है। सरकार की अपेक्षा है कि भारतीय बैडमिंटन संघ भी एक करोड़ रुपए खिलाडि़यों को और 20 लाख रुपए कोच आदि को देकर सम्मानित करे। यह नवाजना भी अच्छा लगता है, लेकिन अब बैडमिंटन को खेल के तौर पर और विकसित किया जाना चाहिए। उद्योगपति क्रिकेट के अलावा इस खेल को भी प्रायोजित कर बढ़ावा दे सकते हैं। हमारे देश में निशानेबाजी और तीरंदाजी ने भी विश्वस्तरीय उपलब्धियां हासिल की हैं। यदि विभिन्न खेलों को प्रोत्साहन और वैश्विक कोचिंग की सुविधाएं मुहैया कराई जाएं, तो ओलंपिक में हमारी पदक-संख्या भी बढ़ सकती है। बहरहाल भारत के इन शटलवीरों को ढेरों बधाइयां…। इस जीत के बाद इसलिए भी अच्छा लग रहा है क्योंकि खेल कुछ हद तक क्रिकेट से आगे बढ़ा है। अब लोग क्रिकेट में ही नहीं, बल्कि अन्य खेलों में भी रुचि लेंगे।


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