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- चैंपियन शटलवीर

आज गर्व, गौरव और जश्न का दिन है। कोई राजनीति नहीं, कोई समस्या नहीं, सिर्फ बैडमिंटन की बात करेंगे। इस खेल के मैदान में एक बार फिर राष्ट्रगान गूंजा और 'तिरंगा' लहराया गया। भारतीय टीम ने प्रतिष्ठित थॉमस कप के फाइनल में 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया की टीम को पराजित किया और चैंपियन की ट्रॉफी जीती। यह भारत के हिस्से की अभूतपूर्व, अकल्पनीय, अद्भुत जीत है। थॉमस कप और उबेर कप क्रमशः पुरुषों और महिलाओं की टीम स्पर्द्धाएं हैं। दरअसल विश्व स्तर पर ये बैडमिंटन की 'प्रतीक' हैं। इन मुकाबलों के 73 साला इतिहास में भारत पहली बार फाइनल में पहुंचा और चैंपियन बना। यह नए भारत को परिभाषित करती जीत है। बैडमिंटन भारत के प्रमुख खेलों में नहीं रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों की विश्व स्तरीय उपलब्धियां स्थापित कर रही हैं कि बैडमिंटन हमारे राष्ट्रीय खेल से कमतर भी नहीं है। अब भारत चैंपियन शटलवीरों का देश है। हमारे शटलवीरों ने साबित कर दिया है कि वे विश्व चैंपियन खिलाड़ी हैं। भारतीय टीम ने 2016 की चैंपियन डेनमार्क को भी पराजित किया और खिताबी मुकाबले में शामिल हुई। हमारे शटलवीरों ने 5 बार की चैंपियन मलेशिया के खिलाडि़यों को भी चित किया। जर्मनी और कनाडा की टीमों का भी सूपड़ा साफ किया। आज भारत भी थॉमस कप विजेता है। चैंपियनों की सूची में इंडोनेशिया, चीन, मलेशिया, जापान, डेनमार्क के बाद भारत ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर देश को गौरवान्वित किया है। दरअसल हमारे शटलवीर बुनियादी तौर पर चैंपियन हैं।
