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- गिरगिट का संसदीय होना

यह गिरगिट सदन के बाहर आकर अटक गया है। आज तक इसकी पुश्तों ने रंग बदलने से पहले यह कभी नहीं सोचा, किसे देखकर बदला जाए या किसे देखकर नार्मल रहे, लेकिन अब यह असमंजस में है। दरअसल इसे अब यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि भारत में नार्मल हालात का रंग कैसा है। जिसे वह अब तक सामान्य हालात मानता था, उसका भी रंग बदल चुका है। मुश्किल उसके लिए यह भी है कि अब देश के नागरिक को देखकर यह पता नहीं चलता कि वह कभी सामान्य होगा भी या नहीं। वह इससे पहले भी सदन में आता-जाता रहा है, लेकिन किसी तरह की सतर्कता उसे पकड़ नहीं सकी। वह मजमून देखकर सत्ता, विपक्ष के पाले में चला जाता और अब तो मीडिया की गैलरी में भी उसे कोई फर्क नहीं दिखाई देता। यह दीगर है कि जब से संसदीय भाषा ने उसके नाम को अछूत बना दिया है, सदन का कोई भी सदस्य उसके रंग पर गौर नहीं करता। धीरे-धीरे उसने सदन के भीतर एक गिरगिट कालोनी बना ली है।
By: divyahimachal
