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जयंतीलाल भंडारी: अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है कि अधिक निर्यात हो, घरेलू मांग बढ़े, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का अच्छा प्रदर्शन हो, कृषि पैदावार बढ़े और अच्छे मानसून और ग्रामीण भारत के प्रति सरकार की समर्थनकारी नीति जारी रहे। तभी देश की विकास दर ऊंचाइयों को छू पाएगी।
पिछले दिनों आए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.7 फीसद रहने का अनुमान है। यह सुकून की बात इसलिए है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत की वृद्धि दर संतोषजनक रही। लेकिन दूसरी ओर खनन, विनिर्माण, व्यापार, परिवहन जैसे क्षेत्रों में सुस्ती का रुख बने रहना चिंता की बात है। इस समय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती महंगाई है। साथ ही, पिछले वित्त वर्ष में जो व्यापार घाटा एक सौ बानवे अरब डालर था, वह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में तेजी से बढ़ कर दो सौ पचास अरब डालर के स्तर पर पहुंच सकता है।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि पिछले वित्त वर्ष की तरह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में वैश्विक मंदी के परिदृश्य के बीच विकास दर को आठ-नौ फीसद तक बढ़ाना आसान नहीं है। ऐसे में निर्यात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बढ़ाने, निजी उपयोग के साथ सरकारी पूंजीगत खर्च में इजाफा, कृषि क्षेत्र की मजबूत वृद्धि, खाद्यान्न के और अधिक उत्पादन तथा विदेश व्यापार घाटे को नियंत्रित करने पर ध्यान देना होगा। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में एफडीआइ और निर्यात को बढ़ाने के लिए और ज्यादा प्रयास करने होंगे।