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बंधु को साल भर देश को जैसे भी खाने पकाने का मौका लगा, वैसे ही देश को खाए पकाए, पांच दस मिनट आजादी का महोत्सव रो पीट, धंधे में भारी रूकावट को गालियां देते मनाए और देशभक्ति का सर्टिफिकेट ले आए
बंधु को साल भर देश को जैसे भी खाने पकाने का मौका लगा, वैसे ही देश को खाए पकाए, पांच दस मिनट आजादी का महोत्सव रो पीट, धंधे में भारी रूकावट को गालियां देते मनाए और देशभक्ति का सर्टिफिकेट ले आए। देश में देशभक्ति के पांच दस मिनट के सर्टिफिकेट कोर्स कबसे शुरू हो गए मित्रो! घाघ तो वे पिछले कई जन्मों से ही हैं. सो उन्हें पलक झपकते पता चल गया कि मैं उनके सीने पर उनके सीने से बड़ा देशभक्ति का सर्टिफिकेट देख चौंक रहा हूं तो वे तुरंत मेरी चौंकाहट की शंका को खत्म करते बोले, 'और देशभक्त गुरु! चौंक गए क्या?' 'हां ! नहीं तो!' 'देखो गुरु! चौंकाहट के इस दौर में सच जानते हुए भी चौंकना वैसे ही जरूरी है जैसे किसी डरावने टीवी सीरियल को देख न चाहते हुए भी डरना। इससे हर ओर भ्रम बना रहता है। और यह भ्रम स्वास्थ्य के लिए टॉनिक का काम करता है। अच्छा तो गुरु तुम्हारा देशभक्ति का सर्टिफिकेट कहां है?' 'देशभक्ति का सर्टिफिकेट? देशभक्ति को सर्टिफिकेट की कबसे जरूरत होने लगी? देशभक्त को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या?' मैंने एक साथ कई सवाल खड़े किए तो वे हौले हौले मुस्कुराते बोले, 'हां गुरु! होती है! आजादी तक त्याग, समर्पण वाली देशभक्ति होती थी। तब उसे किसी सर्टिफिकेट की जरूरत न थी। पर आज का दौर भक्तियों के आईएसओ. आईएसआई वाली सर्टिफाइड का दौर है। आज के भक्ति, नारद की भक्ति के प्रकारों से बहुत आगे निकल चुके हैं।
कल जो किसी की भक्ति का स्वार्थवश रोते हुए सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा, डिग्री कर रहे होते हैं, अगले दिन वे किसी से अपनी सर्टिफाइड भक्ति का कोर्स करवा रहे होते हैं। बिना सर्टिफिकेट के आज हर भक्ति जिहाद है, अपराध है, चाहे वह कितनी ही सात्विक क्यों न हो। इसलिए यहां आज जो कुछ भी है सर्टिफाइड है, बस, वही इलीगल होने के बाद भी वैरीफाइड है। तो तुम्हारा देशभक्ति का सर्टिफिकेट कहां है गुरु?' 'मेरे तो सीने में जन्म जन्म से देशभक्ति है। तीन सौ पैंसठ गुणा आठ पहर चौबीस घंटे वाली।' मैंने तर्कहीन तर्क उनके सामने रखा तो वे बोले, 'पर गुरु ! तुम्हारे पास कहीं दिखाने को उसका कोई सर्टि सुर्टिफिकेट तो नहीं है न? देखो गुरु ! आज कोई भी सर्टि सुर्टिफिकेट तुम्हारे पास है तो उसका दर्शन प्रदर्शन कानूनन जरूरी है। जन्म लेने से लेकर मरने तक के सर्टिफिकेटों के दौर में बिन सर्टिफिकेट यहां सब अवैध है। अगर तुम्हारे पास पैदा होने का सर्टिफिकेट नहीं तो समझ लो, तुम पैदा होने के बाद भी पैदा नहीं हुए। अगर तुम्हारे पास मरने के बाद मरने का सर्टिफिकेट नहीं, तो समझ लो तुम मरने के बाद भी मरे नहीं। समाज को चाटने में व्यस्त हो। यहां भक्ति से लेकर देशभक्ति तक सब सर्टिफिकेटी है।
यहां लात का सर्टिफिकेट है, पास का सर्टिफिकेट है। यहां प्यार का सर्टिफिकेट है, प्यार के इजहार का सर्टिफिकेट है। यहां चोरी का सर्टिफिकेट है, सीनाजोरी का सर्टिफिकेट है। चाहे शुद्ध ठेठ हो, चाहे शुद्ध फेक हो। जिनके पास सर्टिफिकेट नहीं, समझ लो, वे प्यार का अवैध का कारोबार करते हैं। जिनके पास सर्टिफिकेट नहीं, समझ लो, वे प्यार के इजहार का अवैध धंधा करते हैं। देखो गुरु! मैं तुम्हारी तरह त्यागी देशभक्त नहीं हूं, मैं तो वित्तानुरागी देशभक्त हूं। जब जरा सा भी कोई उल्टा पुल्टा काम करता हूं और गलती से जो मुझे लगता है कि उसमें मुझसे देशभक्ति वाली कोई भयंकर गलती हो गई है तो मैं झट उसे कैश कर लेता हूं। आज का जमाना भक्ति और देशभक्ति छुपाने का जमाना नहीं, चीख चीख कर छाती पीट पीट कर दिखाने का जमाना है। देश भक्ति छुपाने का दौर हमारे आजाद होने के बाद ही खत्म हो गया है। अब तो जो, हर मौके पर अपनी भक्ति, देशभक्ति दिखाए नहीं, वह लाख भक्त, देशभक्त होने पर भी भक्त, देशभक्त नहीं। बस, इसीलिए मैंने सीने पर…।'
अशोक गौतम
ashokgautam001@Ugmail.कॉम
By: divyahimachal
Rani Sahu
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