सम्पादकीय

सावधानी है जरूरी

Subhi
28 Dec 2022 3:05 AM GMT
सावधानी है जरूरी
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देश भर के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मंगलवार को मॉक ड्रिल के जरिए यह देखा गया कि हमारा स्वास्थ्य तंत्र कोरोना की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए किस हद तक तैयार है। पड़ोसी देश चीन से कोविड संक्रमण के कारण बने हालात की जो भयावह तस्वीरें आ रही हैं, उनके मद्देनजर अपनी तैयारियों का जायजा लेना जरूरी समझा गया। इस बीच कर्नाटक पहला राज्य है

नवभारत टाइम्स; देश भर के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मंगलवार को मॉक ड्रिल के जरिए यह देखा गया कि हमारा स्वास्थ्य तंत्र कोरोना की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए किस हद तक तैयार है। पड़ोसी देश चीन से कोविड संक्रमण के कारण बने हालात की जो भयावह तस्वीरें आ रही हैं, उनके मद्देनजर अपनी तैयारियों का जायजा लेना जरूरी समझा गया। इस बीच कर्नाटक पहला राज्य है जहां सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना फिर से अनिवार्य कर दिया गया है। विशेषज्ञों के पैनल ने सरकार से कहा है कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वैक्सीन की चौथी डोज की व्यवस्था की जानी चाहिए। वैक्सीन की उपलब्धता और नई दवाओं के परीक्षण की स्थितियों पर भी नए सिरे से नजर डाली जा रही है। इन सबके बीच यह स्पष्ट करते चलना भी जरूरी है कि कम से कम अपने देश में हालात फिलहाल चिंताजनक बिलकुल नहीं हैं। नए केसों की संख्या में पिछले सप्ताह के मुकाबले इस सप्ताह 11 फीसदी की बढ़ोतरी जरूर रेकॉर्ड की गई है, लेकिन फिर भी यह संख्या सबसे निचले स्तर के आसपास ही है।

एक्सपर्ट्स यह भी दोहरा रहे हैं कि अपने देश में टीकाकरण मुहिम के व्यापक दायरे और नैचरल इम्यूनिटी की बेहतर स्थिति के कारण हालात बिगड़ने का डर वैसे भी कम है। अगर किसी वजह से संक्रमण तेज होता है तो भी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम ही लोगों को आएगी। लेकिन चीन में भी कोरोना के मामले एक समय में पूरी तरह नियंत्रित दिख ही रहे थे। जापान, अमेरिका और साउथ कोरिया जैसे देशों में भी हालात काफी बेहतर होने के बाद बिगड़े हैं। कोरोना वायरस ने अपनी जो विशेषता बार-बार दिखाई है वह यह कि उसका कुछ भरोसा नहीं। वह कब किस रूप में और किन लक्षणों के साथ लौट आए, नहीं कहा जा सकता। और, एक बार इसने पैर पसार लिए तो सारी भविष्यवाणियों को बेकार कर सकता है। लेकिन अपने देश में आम लोगों की बात करें तो सब जैसे कोरोना को अतीत की चीज मान चुके हैं। बाजारों में भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी शायद ही कोई मास्क लगाए नजर आता है, दूरी बनाए रखने की भी किसी को नहीं सूझती। स्वास्थ्य तंत्र भी रोजमर्रा की सामान्य चुनौतियों से निपटने में ही अपनी सार्थकता मान चुका है। ऐसे में क्रिसमस के बाद अब नए साल के जश्न का मौका आ रहा है। देशवासियों का फिलहाल जो मूड दिख रहा है, उसमें न्यू ईयर पार्टी करते हुए शायद ही कोई कोरोना के बारे में सोचे या किसी तरह की सावधानी बरतना जरूरी समझे। इसलिए भी सरकारी तंत्र को एक बार झकझोरना जरूरी है ताकि वह चेत जाए और लोगों को भी चेताए कि न तो घबराने की जरूरत है और न ही अपनी दिनचर्या में कोई बदलाव लाने की। लेकिन जरूरत है सावधानी बनाए रखने की क्योंकि कोरोना गया नहीं है।


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