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डा. एके वर्मा
सोर्स- जागरण
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने राज्य में जातिगत जनगणना (Cast Census) कराने का सर्वदलीय निर्णय लिया है। इसके पूर्व फरवरी 2019 और 2020 में बिहार विधानसभा जातिगत जनगणना का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर चुकी है। क्या बिहार के दल समझते हैं कि जनगणना से बेहतर सामाजिक न्याय मिलेगा? जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने से राजनीतिक दलों को यही तो पता चलेगा कि कौन सा जाति समूह कितने प्रतिशत है। चूंकि बिहार में राजद (RJD) और जदयू (JDU) की राजनीति अन्य पिछड़ा वर्ग पर आधारित है, इसीलिए भाजपा सहित सभी दल जातिगत जनगणना का श्रेय लेना चाहते हैं, लेकिन जनता को पता है कि जातीय जनगणना मात्र से उसे आरक्षण या सामाजिक न्याय नहीं मिलेगा। राजनीतिक दलों को समझना होगा कि देश में 'अस्मिता की राजनीति अर्थात जातीय राजनीति की जमीन खिसक रही है और लोग धीरे-धीरे समावेशी राजनीति की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसमें सभी का विकास निहित है।