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रवीश कुमार केवल नौकरशाही और मीडिया का विभाजन नहीं हुआ है बल्कि प्रदूषण का भी हुआ है. भूगोल और मौसम के हिसाब से प्रदूषण की चिन्ताओं को बांट दिया है और उसे सीबीआई और ईडी के अफसरों की तरह विस्तार देते रहते हैं. जिस तरह अब सीबीआई के प्रमुख तक पांच साल के लिए मेवा विस्तार मिलेगा सॉरी सेवा विस्तार मिलेगा उसी तरह से वायु प्रदूषण को हर नवंबर के बाद अगले नवंबर के लिए विस्तार मिल जाता है. नवंबर के जाते ही अदालत, सरकार और मीडिया तीनों ख़ामोश हो जाते हैं. वैसे गोदी मीडिया भी अपने आप में एक तरह का प्रदूषण है और यह हर महीने पिछले महीने की तुलना में ज्यादा बढ़ जाता है. नवंबर 2016 में जब इंडियन एक्सप्रेस के फोटोग्राफर अभिनव साहा ने कालिंदी कुंज के पास यमुना बराज की तस्वीर छापी तब हंगामा मच गया. यह तो नहीं कह सकते कि वह पहली तस्वीर थी लेकिन उस तस्वीर ने पहली तस्वीर के जैसा ही असर किया था. हम भी उसके बाद दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास पहुंच गए थे सोपान जोशी के साथ लेकिन 2016 से 2021 आ गया, लगता है प्रदूषण भी सेवा विस्तार पर है.