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- बच्चों की फिक्र

Written by जनसत्ता; भारत दुनिया के सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देशों में एक है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की आधी आबादी भारत सहित नौ देशों से होगी। किसी भी देश के लिए बच्चे भविष्य की पूंजी होते हैं। भारत की आबादी में 15.8 लाख, 0-6 साल आयु वर्ग के बच्चे हैं, जो देश की कुल आबादी का उनतालीस प्रतिशत है। भारत में लगभग तीन लाख अनाथ और परित्यक्त बच्चे हैं, जो युवा आबादी का चार प्रतिशत है।
बाल विकास पर पूर्ण समायोजन करने की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान में लाखों बच्चे, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के अवसरों से वंचित हैं। भारत में बच्चों को गोद लेने की दर हमेशा कम रही है, इसमें और गिरावट आई है। हालांकि गोद लेना कोई गैरकानूनी काम नहीं है। इसके लिए विशेष दत्तक एजेंसी को बच्चों को गोद लेने के लिए धारा 41 की उप धारा 4 के तहत राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। सरकार को बच्चों का भविष्य बचाने के लिए भोजन, स्वास्थ, शिक्षा और आश्रय की समुचित व्यवस्था करनी होगी, तभी उनके भविष्य की बुनियाद मजबूत होगी।
हालांकि सरकार की मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य आदि योजनाओं के लिए बजट में पचास प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 2.1 लाख आंगनवाड़ियों का सक्षम आंगनबाड़ियों में उन्नयन किया जाएगा। अब देखना है कि ये योजनाएं गरीब और वंचित वर्ग तक पहुंच पाती हैं या भ्रष्टाचार के गाल में समा जाती हैं।