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- कार्बन घटाने का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो सम्मेलन में यह कहकर एकबारगी सबको चौंका दिया कि भारत 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लेगा। जीरो कार्बन उत्सर्जन का मतलब है कि कार्बन तो उत्सर्जित होगा, पर वह उस स्तर के ऊपर नहीं जाएगा, जितने तक पृथ्वी का वातावरण जज्ब कर सकता है। साल 2070 की यह समयसीमा हालांकि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन (ईयू) की 2050 और चीन की 2060 की डेडलाइन से आगे है, और इसलिए हो सकता है कुछ ग्रीन एक्टिविस्ट्स को इससे निराशा हुई हो, लेकिन सम्मेलन में शामिल डेलीगेट्स की अपेक्षाओं और व्यावहारिक तकाजों को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो यह कोई छोटी बात नहीं कि दुनिया के चौथे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश ने जीरो कार्बन उत्सर्जन को लेकर समयबद्ध प्रतिबद्धता जाहिर की। दूसरे, यह 50 साल आगे की दी हुई एकमात्र प्रतिबद्धता नहीं है। जो पांच संकल्प भारत ने वहां व्यक्त किए, उनमें यह भी है कि 2030 तक वह कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाएगा और यह भी कि इन दस वर्षों में वह ऊर्जा की अपनी कुल जरूरतों का आधा हिस्सा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से पूरी करने लगेगा।