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- कारवां बदलते एहसास
मोदी आगमन की शर्तों में हिमाचल की सत्ता का प्रचार हैरान करता है। हैरान राहों के ठिकाने जब जोर आजमाइश करंे, तो समझो कारवां बदल गया है। देश के प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्मशाला के रोड शो में कारवां बदलने के गहरे संकेत देते हुए भाजपा के दिल में चुनाव जीतने का मंत्र घुमा दिया। देश की नारेबाजी या देश के लिए नारेबाजी के बीच प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे एहसास से भरा है, जो राजनीति के पांव चलता है और विपक्ष की चाल बिगाड़ता है। हिमाचल में चुनाव जब आंख खोल रहे हैं, तो सामने भाजपा के पोस्टर सारा युद्धक्षेत्र बटोर रहे हैं। जाहिर है एक संदेश तो मोदी आगमन ही रहता है, जबकि दूसरे स्तर पर राज्य की तस्वीर बदलने का आश्वासन। सत्ता के गलियारे दिल्ली से हिमाचल तक इतने ठेठ हो चुके हैं कि भाजपा की तंग गलियां भी अपनी मंजिल का हर आयाम ढूंढती हैं। शिमला के बाद धर्मशाला में भाजपा का लाव लश्कर फिलवक्त उन दीवारों को भी फांद सकता है, जो विरोधी पक्ष की एक-एक ईंट गिन रही हैं, लेकिन कांग्रेस की सक्रियता के सबूत हिमाचल के ऐतिहासिक पक्ष में अपनी आशाएं बटोर रहे हैं। कांग्रेस ईडी की बिसात और राहुल के पक्ष में राज्यपाल तक पहुंच कर बरस रही है, तो सैन्य पृष्ठभूमि के सवाल पर आक्रोशित युवा जिस अग्निपथ पर खड़ा हो रहा है उससे भी विपक्षी आक्सीजन का विस्तार होगा। अग्निपथ की परिकल्पना में जिस सैन्य भर्ती के नए विकल्प खड़े किए जा रहे हैं, उनका विरोध हिमाचल को भी तपा रहा है। एक अवांछित हल्ला मोदी के रोड शो के पल्ले पड़ गया। यह राज्य सरकार के लिए भी अप्रत्याशित घटनाक्रम है, लेकिन युवाओं में इस तरह का गुस्सा सीधा नहीं है। सैन्य भर्ती का विषय संवेदनात्मक, परंपरागत तथा राष्ट्र के प्रति ऐसी सौगंध है, जो हिमाचल के कमोबेश हर घर में ली जाती है। हालांकि एक पैकेज के रूप में सेना में चार साल उत्तीर्ण हो भी जाएं, खतरा तो उम्र भर के फेल होने का है।
By: divyahimachal
