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- कैप्टन की 'कप्तानी'...
आदित्य चौपड़ा। पंजाब में मुख्यमन्त्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के विरुद्ध कांग्रेसियों के एक गुट ने जिस तरह बगावत का झंडा फहराया था उसे पार्टी के आलाकमान ने लपेट कर पुनः 'नियमचारित' कर दिया है। पंजाब के बारे में एक किंवदन्ति पूरे भारत में प्रसिद्ध है कि यहां के लोग अन्याय कभी बर्दाश्त नहीं करते हैं और इसका मुकाबला जान की बाजी तक लगा कर करते हैं। इसी वजह से इस राज्य का इतिहास अनगिनत कुर्बानियों से भरा पड़ा है । वर्तमान राजनीति के दौर में भी यह कहावत सटीक सिद्ध होती है क्योंकि यह राज्य अपना ही राजनीतिक विमर्श तय कर राजनीतिज्ञों का भविष्य तय करता है। अभी तक देश में हुए हर चुनाव इस तथ्य का प्रमाण हैं। कैप्टन की कप्तानी को दलबदलू हंसोड़ के रूप में प्रसिद्ध पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू जिस अंदाज से चुनौती दे रहे हैं उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि उन्होंने राजनीति को भी 'क्रिकेट का ग्राऊंड' समझ रखा है। सिद्धू को सबसे पहले यह समझना होगा कि पंजाब उस शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की धरती है जिन्होंने भरी अदालत में अंग्रजों के मुखबिर बने जयगोपाल के मुंह पर जूता फैंक कर मारा था। सिद्धू कल तक आम आदमी पार्टी में थे और उससे पहले भाजपा में रहे जहां उन्होंने सत्ता का मुकुट पहनने के लिए असफल जुगाड़ लगाये। अतः जब से हुजूर कांग्रेस में आये हैं इसी फिराक में हैं कि किसी न किसी तरह सत्ता का मुकुट पहन लें।