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भारत और कनाडा के संबंध खटाई में पड़ते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ने की पूरी आशंका दिखाई दे रही है, क्योंकि भारत को लग रहा है कि कनाडा अपने देश में चल रही खालिस्तानी गतिविधियों पर नरम रुख अख्तियार कर रहा है। वैसे इस तरह की घटनाएं तो अनेक हुई हैं, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण है 19 सितंबर को ब्रैंपटन, ओन्टारियो में संपन्न हुआ खालिस्तान जनमत संग्रह, जिसमें एक लाख से अधिक कनाडाई सिखों ने हिस्सा लिया। इसका आयोजन खालिस्तान समर्थक समूह सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने किया था, जिसमें बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं वोट देने के लिए कतारों में खड़े थे और सोशल मीडिया ऐसी तस्वीरों से भरा पड़ा था। यह जनमत संग्रह 2020 में ही प्रस्तावित था, पर कोविड-19 के चलते इसे मुल्तवी करना पड़ा था। एसएफजे को भारत में 2019 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। कनाडा में दस लाख से अधिक भारतीय रहते हैं। पंजाब के बाद यदि सबसे ज्यादा सिख कहीं बसते हैं, तो वह है कनाडा, जहां की 15 फीसदी आबादी सिख है।
सोर्स: अमर उजाला