- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कनाडा और ओआइसी को...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विगत एक पखवाड़े में भारत को दो विदेशी बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देनी पड़ी। इन दोनों बयानों का उद्गम भले अलग रहा, मगर उनके मूल भाव में समानता थी। वे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाले थे। भारत जैसा कोई देश अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कदापि स्वीकार नहीं कर सकता। इन बयानों में एक कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का था, जिन्होंने किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर अनुचित टिप्पणी की। दूसरा बयान जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में इस्लामिक देशों के समूह यानी ओआइसी की ओर से आया। ओआइसी के बयान के पीछे पाकिस्तान ही मुख्य रूप से जिम्मेदार था। भारत के प्रति स्थायी शत्रुता भाव रखने के कारण इसमें भी कोई संदेह नहीं कि वह पंजाब में उपजे हालात का भी लाभ उठाना चाहे। उसने खालिस्तान की मुहिम को दोबारा जिंदा करने की उम्मीद नहीं छोड़ी। हालांकि यह बात अलग है सिख समुदाय ने उसे सिरे से खारिज कर दिया।
कनाडा को भारतीय कृषि नीति में हस्तक्षेप का कोई हक नहीं