सम्पादकीय

दुनियाभर में पेट्रोल का दर्द देखकर क्या हम वाकई अपना ग़म कम कर सकते हैं?

Gulabi Jagat
15 April 2022 7:44 AM GMT
दुनियाभर में पेट्रोल का दर्द देखकर क्या हम वाकई अपना ग़म कम कर सकते हैं?
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पीपीपी मॉडल से समझिए मूल्यवृद्धि का सच
प्रवीण कुमार |
एक ऐसी चीज जिस पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था (Economy) टिकी हो और हम उसका करीब 86 फीसदी हिस्सा आयात करते हों, तो इसका मतलब साफ है कि इसके लिए हम दूसरे देशों पर मोहताज हैं और यह तथ्य सर्वविदित है कि मोहताज होने वाली अर्थव्यवस्था में ज्यादा विकल्प होते नहीं हैं. हम बात कर रहे हैं पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की आसमान छूती कीमतों की. भारत में पेट्रोल और डीजल के भाव 100 रुपये प्रति लीटर पार करने के बाद से जो हंगामा मचा हुआ है उसमें एक बात अब ये निकलकर आ रही है कि दुनिया के अन्य देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर नजर दौड़ाएं तो भारत के लोग शायद अपने गम को कम कर सकते हैं. मतलब भारत के मुकाबले दुनिया के बहुतेरे देशों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बहुत ज्यादा हैं. अब इस बात में कितनी सच्चाई है इसे समझना जरूरी है.
पीपीपी मॉडल से समझिए मूल्यवृद्धि का सच
दुनियावी अर्थव्यवस्था में एक शब्द है 'क्रय शक्ति समानता' जिसे अंग्रेजी में पीपीपी यानी Purchasing Power Parity कहते हैं. यह अंतर्राष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है. यह शब्द वर्ल्ड बैंक का ईजाद किया हुआ है और इसका इस्तेमाल वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में जीवन की लागत के अंतर को निर्धारित करने में किया जाता है. इसका अर्थ किन्हीं दो देशों के बीच वस्तु या सेवा की कीमत में मौजूद अंतर से लिया जाता है. पीपीपी मॉडल से यह पता लगाया जाता है कि दो देशों के बीच मुद्रा की क्रयशक्ति में कितना अंतर या फिर कितनी समानता मौजूद है. पीपीपी के आधार पर ही मुद्रा विनिमय दर को तय किया जाता है.
पीपीपी मॉडल के मुताबिक, भारत में एलपीजी की कीमत दुनिया में सबसे अधिक है, जबकि पेट्रोल की कीमत तीसरे और डीजल की कीमत आठवें नंबर पर सबसे अधिक है. भारत में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 120 रुपये है, जो पीपीपी मॉडल के अनुसार, लगभग 5.2 डॉलर (अंतरराष्ट्रीय डॉलर मूल्य) होता है जो दुनिया में तीसरे नंबर पर सबसे अधिक है. अमेरिका में यह 1.2 डॉलर प्रति लीटर है.
इसी तरह से एक लीटर डीजल की कीमत भारत में 4.6 डॉलर है, जो दुनिया में 8वें नंबर पर सबसे ज्यादा है. इसी तरह से एलपीजी की कीमत दुनिया भर के 54 देशों की तुलना में सबसे ज्यादा भारत में 3.5 डॉलर प्रति लीटर है. तो पीपीपी मॉडल के हिसाब से देखें तो कोई ऐसी सूरत दिखती नहीं है कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में पेट्रोल, डीजल या रसोई गैस की कीमत कम है. अगर मूल्यवृद्धि की रफ्तार यूं ही बढ़ती रही तो वो दिन दूर नहीं जब एलपीजी की तरह ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी भारत नंबर एक पर पहुंच जाएगा.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारत की स्थिति क्या है?
globalpetrolprices.com पर 11 अप्रैल 2022 को जारी साप्ताहिक प्राइस इंडेक्स के मुताबिक, दुनिया के कुल 169 देशों का आंकलन करें तो भारत में पेट्रोल की औसत कीमत 112.55 रुपये प्रति लीटर है. इस लिस्ट के मुताबिक, दुनिया के 109 देशों में पेट्रोल की कीमत भारत से कम है और 60 देशों में भारत की कीमत से ज्यादा है. दुनिया में पेट्रोल की सबसे कम कीमत वेनेजुएला में 1.89 रुपये प्रति लीटर है, वहीं सबसे ज्यादा कीमत हांगकांग में 218 रुपये प्रति लीटर है. अगर हम सात पड़ोसी देशों में पेट्रोल की बात करें तो पाकिस्तान में 62.13 रुपये प्रति लीटर, अफगानिस्तान में 66.85, श्रीलंका में 67.01 रुपये, बांग्लादेश में 78.23 रुपये, बर्मा में 78.85 रुपये, भूटान में 95 रुपये और नेपाल में 99.75 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल बिक रहा है, जो भारत से काफी कम है.
बड़े व विकसित देशों की बात करें तो ब्रिटेन और फ्रांस में क्रमश: 160.51 रुपये और 143.03 रुपये प्रति लीटर भारत से ज्यादा महंगा है. लेकिन अमेरिका में 90.35, रूस में 47.12 रुपये, चीन में 111.68, जापान में 102.75 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल का खुदरा मूल्य है, जो भारत से कम है. इसी तरह से डीजल की बात करें तो भारत में डीजल की औसत कीमत 100.55 रुपये प्रति लीटर है. globalpetrolprices.com की साप्ताहिक प्राइस इंडेक्स के मुताबिक, दुनिया के 95 देशों में डीजल की कीमत भारत से कम है और 73 देशों में भारत से ज्यादा है.
दुनिया में डीजल की सबसे कम कीमत ईरान में 0.77 रुपये प्रति लीटर है, वहीं सबसे ज्यादा कीमत हांगकांग में 192.53 रुपये प्रति लीटर है. पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान में 59.76, अफगानिस्तान में 60.85, श्रीलंका में 41.67, बांग्लादेश में 70.32, बर्मा में 82.78, भूटान में 100 और नेपाल में 89.15 रुपये प्रति लीटर खुदर मूल्य है, जो भारत से काफी कम है. बड़े व विकसित देशों की बात करें तो अमेरिका में यह दर 100.75 रुपये, रूस में 48.13 रुपये, जापान में 89.86, चीन में 100.39, फ्रांस में 149.22, और ब्रिटेन में 174.44 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. इनमें फ्रांस और ब्रिटेन को छोड़ दें तो बाकी देशों में डीजल की कीमत भारत से काफी कम है.
तो फिर भारत के लोग गम को कम कैसे करें?
हमने ऊपर पीपीपी मॉडल पर विश्लेषण कर देख लिया, फिर पड़ोसी देश और बड़े व विकसित देशों की खुदरा दरों का तुलनात्मक अध्ययन कर देख लिया. इससे तो वो बात निकलकर नहीं आई कि दुनिया के देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को देख भारत के लोग अपना गम कम कर सकते हैं. हां, एक तथ्य जरूर है जिसका गणित समझकर इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में तेल की कीमतें काफी कम हैं. 1 अप्रैल 2022 को पेट्रोल की 101.81 रुपये प्रति लीटर कीमत को आधार मानें और इसका विस्तृत ब्यौरा निकालें तो बेसिक मूल्य 53.34 रुपये प्रति लीटर का है. इस पर फ्रेट चार्ज 20 पैसे लगता है. केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी 27.90 रुपये और राज्य सरकार का वैट चार्ज 16.54 रुपये और डीलर कमीशन 3.83 रुपये प्रति लीटर लगता है. इसी तरह से 1 अप्रैल 2022 को डीजल की 93.07 रुपये प्रति लीटर कीमत को आधार मानें और इसका विस्तृत ब्यौरा निकालें तो बेसिक मूल्य 54.87 रुपये प्रति लीटर, फ्रेट चार्ज 22 पैसे, केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी 21.80 रुपये, राज्य सरकार का वैट चार्ज 13.26 रुपये और डीलर कमीशन 2.58 रुपये लगता है.
कहने का मतलब यह कि अगर पेट्रोल की कीमत में केंद्र और राज्य सरकार के टैक्स को खत्म कर दिया जाए तो कीमत 57.37 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत करीब 58 रुपये प्रति लीटर पर आ जाएगी. लेकिन गणित के इस फॉर्मूले में सरकारों की आमदनी का मसला ऐसा है जो कम होने या खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. यह तभी संभव है जब राज्य और केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल से आय पर निर्भरता कम करे. इसके अलावा सरकार अगर तेल की कीमतों को जीएसटी के दायरे में ले आए तब भी बात बन सकती है और हम भारत के लोग इस बात का दावा कर सकते हैं कि भारत में पेट्रोल, डीजल की कीमतें दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी कम हैं.
कुल मिलाकर देखें तो इस बात से इनकार नहीं कि दुनिया के बहुत सारे देश ऐसे हैं जहां भारत के मुकाबले पेट्रोल और डीजल का खुदरा मूल्य काफी ज्यादा है. हांगकांग, इजरायल, इटली, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन का नाम उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है. लेकिन बहुत सारे देश ऐसे भी हैं जहां पेट्रोल और डीजल का खुदरा मूल्य काफी कम भी है. निश्चित तौर पर जब हम इस तरह का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो उसके पीछे बहुत सारे फैक्टर को शामिल किया जाता है. देश की प्रति व्यक्ति आय, देश की जीडीपी, तेल की खपत, टैक्स का हिस्सा, वाहनों की संख्या, देश की भौगोलिक परिस्थिति, देश की आबादी आदि का जब तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है, तब जाकर वास्तविक स्थिति का पता चल पाता है कि हम कहां खड़े हैं.
हमारे देश में अगर तेल महंगा है तो क्यों है और किसी देश में सस्ता है तो क्यों है. आम तौर पर जब सरकारें या उससे जुड़ी एजेंसियां तेल की बढ़ती कीमतों को जायज ठहराने की कोशिश करती हैं तो वह उन्हीं देशों का नाम लेती हैं जहां कीमतें भारत से ज्यादा हैं. वह तेल की कीमतों में उछाल के प्रतिशत दर का हवाला देने लगती हैं, अमेरिका के मुकाबले भारत में कीमतों में उछाल की दर कम रही. ऐसे में सीधी बात तो यही है कि अगर कीमतें आम जनता की जेब से बाहर हैं तो वह किसी दूसरे देश में कम हैं या ज्यादा हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. गम मिटाने का ये जरिया आर्थिक लिहाज से ठीक भी नहीं है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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