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प्रेमपाल शर्मा।
सोर्स - Jagran.TV
देश की सर्वोच्च सिविल सेवाओं में भर्ती के लिए संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा के परिणामों की ऐतिहासिकता इस बात में है कि आजादी के बाद पहली बार तीन महिलाओं ने टाप किया है। देश की ज्यादातर अखिल भारतीय परीक्षाओं में महिलाओं का बेहतर प्रदर्शन इस देश के भविष्य के लिए शुभ संकेत है, लेकिन यह कहना अर्धसत्य होगा कि ये टापर ही सर्वश्रेष्ठ हैं। तीन चरणों में संपन्न होने वाली इस सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में टाप करने या अंतिम रहने में कोई ज्यादा अंतर नहीं होता। लगभग सभी अभ्यर्थी उतने ही मेधावी और मेहनती होते हैं। यहां तक कि जो कुछ नंबरों से चूक भी जाते हैं, उनकी भी क्षमताएं उतनी ही होती हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षो से इन्हें भी देश के दूसरे विभागों, उपक्रमों में लेने की चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन अभी इस विचार को लागू किया जाना बाकी है।
