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- ऊंट दूल्हा, गधा...
ऊँट दूल्हा है और गधा पुरोहित। पथ अग्नि भरा है और अग्निवीर बने बाराती आँखों पर पट्टी बाँधे चल रहे हैं। लेकिन आप इन्हें अंधभक्त की संज्ञा न दें। हो सकता है, आपको यह पक्षपात लगे। पर आप इनकी भक्ति और निष्ठा पर क़तई सन्देह न करें। यह वही जमात है जो सदियों से सत्ता की चाकरी करती आई है। जो सदा अवतार की कल्पना में खोई अपने कष्टों के निवारण के लिए राजा को भगवान के रूप में देखती आई है। फिर जिस बारात में ऊँट दूल्हा हो और गधा पुरोहित, वहाँ कहने के बावजूद अंधभक्त गधे पर बैठने वाले नहीं। आप चाहें तो कोशिश कर के देख लें। समझाने के बावजूद अंधभक्त आँखों से पट्टी नहीं खोलेंगे और भेड़ों की तरह झुँड बना कर गड्ढे में गिरते रहेंगे। जब ऊँट कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोलता है तो गधे उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक 'सुर मिले मेरा तुम्हारा' अलापने लगते हैं। बाराती ताल देते हैं। सदियों से दरबारों की यही संस्कृति रही है। सुर में सुर न मिलाने वाला अर्बन नक्सली हो सकता है या देशद्रोही। उसे दरबार से उठा कर बाहर फैंक दिया जाता है। अपने गले में बिल्ली बाँधे ऊँट चाहे कुछ भी अनर्गल बोलता रहे, गधे पुरोहित कर्म निभाते रहेंगे और अंधभक्त सिर हिलाते हुए पुष्प वर्षा करते रहेंगे। दरबार से किसी योजना का उद्घोष होता है और तमाम मंत्री बधाइयाँ देते हुए नज़र आते हैं कि ऐसी योजना न कभी आई थी और न कभी आएगी।
सोर्स- divyahimachal