- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कॉडर की गुठलियां
ये फैसले हमें कर्मचारी राज्य बनाकर रहेंगे या प्रदेश का सियासी सफर केवल कर्मचारी बाहों में सुनिश्चित है। दो कड़क मुख्यमंत्रियों स्व. वाईएस परमार व शांता कुमार ने प्रदेश के संसाधनों से ऊपर जाकर कर्मचारियों से अनावश्यक समझौते नहीं किए, लेकिन अब सत्ता के बीच बसा कर्मचारी कॉडर इतना फैल गया है कि न इसका कोई ओर है और न ही कोई छोर। यही वजह है कि जेसीसी बैठक का गुलकंद खाने के बावजूद कर्मचारी अशांति का सबब बन आंदोलन सामने आ रहे हैं। रूठे दिलों को मनाते-मनाते सरकारी खजाना तो खाली हो रहा है, लेकिन सरकारी दावत का मजा कर्मचारियों को क्यों नहीं आ रहा। इसी बीच प्रदेश की गलियों में कर्मचारी आंदोलनों का शोर और प्रदेश सचिवालय तक पहुंच रही गूंज का आलम यह कि अपने-अपने सब्र के पैमानों को कुछ वर्ग तोड़ना चाहते हैं। सोमवार को भारतीय मजदूर संघ ने अपने भीतर का सैलाब अगर आंदोलनरत किया, तो वो सब हुआ जो अप्रत्याशित था।