सम्पादकीय

मंत्रिमंडल की नमक हलाली

Rani Sahu
23 Aug 2022 6:45 PM GMT
मंत्रिमंडल की नमक हलाली
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सत्ता के निष्कर्ष और सत्ता वापसी के विमर्श पर टिकी भाजपा सरकार की आशाएं
By: divyahimachal
सत्ता के निष्कर्ष और सत्ता वापसी के विमर्श पर टिकी भाजपा सरकार की आशाएं, शेष बची मंत्रिमंडलीय बैठकों का मनोविज्ञान लेकर फिर हाजिर हैं। किसी राजनीतिक तरकारी के मानिंद यहां नमक हलाल करते व्यंजन और हांडी पर चढ़े पकवानों की महक को दूर तक पहुंचाने का इंतजाम है। हर विभाग और विभाग के मंत्री हिमाचल के नाम पर ऐसा कुछ अंजाम लिख रहे हैं कि सरकारी फैसले अब कर्मठता के साथ बता रहे हैं कि कहां क्या और कितना परोसना है। डंके की चोट पर हासिल होती महफिलें और संदेश की खूबसूरत पटकथा पर जब विकास के नायक काजा में महाविद्यालय की घोषणा करते हैं, तो कबायली गहने भी मुस्कराते हैं। 'ईंटों पर तेरा नाम गऱ हिफाज़त है, तो ताबूत में जाने से पहले बटोर लूं इन्हें!' एक साथ कई कुंडियां खोलने के प्रयास में सरकार ने अपनी विसंगतियों को नए विकास की परिभाषा से जोडऩे का, एहसास कराना शुरू किया है। उदाहरण के लिए भले ही चाइल्ड एडॉप्शन लीव बढ़ाने पर सहमति बने या न बने, लेकिन सरकार ने अपनी दरियादिली के रास्ते पूरी तरह खोल कर रखे हैं। जाहिर है कर्मचारियों के मसलों पर हर राजनीतिक पार्टी अपनी इबारत को खूबसूरत बनाने की हरसंभव कोशिश करती है और वर्तमान में यह अवसर भाजपा के पास है कि बढ़त हासिल करे।
इसी अंदाज में कर्मचारियों को घर बनाने के लिए अब अधिकतम 15 लाख एडवांस की व्यवस्था की जा रही है, जो इससे पहले मात्र साढ़े सात लाख की परिधि में मददगार थी। प्रदेश सरकार के फैसलों में हम यह साफ तौर पर तसदीक कर सकते हैं कि राज्य के संसाधनों में सबसे अधिक हिस्सेदारी कर्मचारी वर्ग की है और इसीलिए नई नियुक्तियों के चुंबक चारों ओर आकर्षण का पैगाम फैलाते रहते हैं। सरकारी नौकरी का सूचकांक पुन: अपनी ऊंचाई पर ऐसे मजमून खड़े कर रहा है, जहां नए पदों का सृजन और रिक्त पदों की फेहरिस्त पर पूरा समाज संबोधित है। स्कूलों को स्तरोन्नत करते इरादे, जल शक्ति विभाग के विस्तार में लाभान्वित इलाके, आयुर्वेदिक संस्थानों की नई पुडिय़ा में पुराने मर्ज का इलाज और बागबानी विभाग के माध्यम से बंटते सत्ता के फल पूरी तरह मेहरबान हैं। धर्मपुर विधानसभा के सिद्धपुर में बागबानी के उपनिदेशक का कार्यालय स्थापित होना सरकार में महेंद्र सिंह की ताकत का इजाफा है और अगर यह विभागीय विकेंद्रीयकरण है, तो इसका स्वागत है। सरकार सिद्धपुर जैसे ठेठ ग्रामीण स्तर तक बागबानी उपनिदेशालय को पहुंचाना चाहती है, तो इस तरह के कार्यालय कुल्लू, शिमला, सोलन, सिरमौर, चंबा और किन्नौर तक खुलने चाहिएं। बागबानी के अलावा कृषि, मत्स्यपालन, पशुपालन तथा मधुमक्खी पालन के कई क्षेत्रीय कार्यालय ग्रामीण स्तर पर पहुंच जाने चाहिएं, लेकिन यह नीतिगत फैसलों की तासीर में ही उज्ज्वल भविष्य लिख पाएंगे। खैर कटान पर सरकार की चिंता का जायजा पुन: किसानों के हक में एक कुशल नीति का इंतजार कर रहा है।
मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार का संस्कृत भाषा के प्रति मोह दर्शाता है। भले ही संस्कृत विश्वविद्यालय की रूपरेखा न बन पाई, लेकिन सरकार ने फैसले से अपना निबंध लिखते हुए रामपुर के शिंगला को संस्कृत कालेज दे दिया। शास्त्री व भाषा अध्यापक अब टीजीटी का उपनाम लगाएंगे, तो पैरा वर्कर नीति के तहत आठ सौ कर्मी तमाम सरकारी रेस्ट हाउस के चूल्हों पर भर्ती का आटा बेलेंगे। यानी चुनाव का चरखा काफी महीन कात कर बता रहा है कि दौर-ए-सत्ता किस तरह इरादों की रुई से लिख सकती है आगे का स$फर।
Rani Sahu

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