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अपने विभागों के दर्द व मर्ज का इलाज करते-करते हिमाचल सरकार कुछ अहम फैसले ले रही है
By: divyahimachal
अपने विभागों के दर्द व मर्ज का इलाज करते-करते हिमाचल सरकार कुछ अहम फैसले ले रही है। मंत्रिमंडलीय बैठकों के आखिरी पन्नों में हम क्षेत्रीय अपेक्षाओं, भौगोलिक महत्त्वाकांक्षा, राजनीतिक प्रभाव और मंजिल तक पहुंचने की ख्वाहिश में सरकार को अंतिम डिब्बे तक मशगूल होते देख सकते हैं। गुरुवार के गुरुत्व में स्वास्थ्य विभाग के लंबित फैसले सत्ता की ट्रेन पर अंततः चढ़ ही गए। डाक्टरों के पांच सौ पदों के लिए शुरू हो रहा नियुक्ति समारोह, रोजगार के दीये जला रहा है। इसके साथ ही डेंटल डाक्टरों के 19 पद तथा 880 कम्युनिटी हैल्थ आफिसरों के पद भरे जाएंगे, तो इस प्रक्रिया में भाग लेती हुई युवा पीढ़ी व्यस्त हो जाएगी। मंत्रिमंडल की बैठक में व्यस्त सरकार बेरोजगारों को व्यस्त कर रही है और इस तरह ऐसे मजमून से सार्थक प्रतिध्वनि तो निकलेगी ही। सरकार नए बीएमओ कार्यालय का सृजन करते कफोटा(सिरमौर) तथा पीएचसी खोलते हुए चियूणी (मंडी) को चिकित्सा प्राथमिकता का हार थमाती है, जबकि जवाली की जोल पंचायत तथा शिमला के कंडोला में चिकित्सा उप केंद्र खोल रही है।
इसके अलावा कई जिलों में चिकित्सा उपकेंद्र, पीएचसी व सीएचसी खोल रही है, तो कई चिकित्सा संस्थानों की बिस्तर क्षमता बढ़ा रही है। कुल मिला कर चिकित्सा क्षेत्र की इस बार ऐसी पैमाइश जरूर हुई है, जिसके कारण जनापेक्षाओं पर राजनीतिक सौहार्द का मोम चढ़ा दिया गया है। सरकार ने फल खरीद के उद्देश्य को अपनी उदारता की तहजीब में तोलने की कोशिश की और इस तरह किन्नू, माल्टा, संतरा और गलगल भी मंडी मध्यस्थता योजना के सिंहासन पर बैठ गए। इन सभी की खरीद में पिछले साल की तुलना में एक रुपए प्रति किलोग्राम अधिक भी मिलेगा। जाहिर है चुनावी साल की सरकार अपनी सियासी मंडी के दाम ऊंचे कर रही है और इसका सीधा लाभ बागबानों को मिलेगा। सरकार अपने रुके हुए कार्यों को फिर से हासिल करने की शिनाख्त कर रही है और इस तरह तेजी से घटनाक्रम घूम सकता है। मसलन पूर्व घोषित धर्मशाला-मंडी के साइबर थानों की स्थापना का नया हुंकारा अगर बुलंद है, तो कई नए दफ्तरों के ताले भी खोले जा रहे हैं। मंडी में पीडब्ल्यूडी का इलेक्ट्रिक सर्किल, थुनाग में जलशक्ति विभाग का सर्किल और कई उपतहसीलें जन्म ले रही हैं।
पूर्व घोषित उपमंडल (नागरिक) की खिड़कियां खोलते हुए परिवहन मंत्री मिल जाएंगे क्योंकि उनके विधानसभा क्षेत्र के रक्कड़ और कोटला बेहड़ में दो एसडीएम बैठेंगे। आयुर्वेदिक विभाग भी कुछ कदम आगे बढ़ते हुए नए संस्थानों की रूपरेखा को अंजाम दे रहा है। कुल मिलाकर मंत्रिमंडलीय फैसलों में सरकार तेजी से अपनी फाइलों, प्रस्तावों तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति को अपने वांछित मुकाम तक पहंुचाने के लिए प्रयत्नशील है। इसके भीतर कई मुआयने व तर्क हो सकते हैं, लेकिन देखना यह भी होगा कि अंतिम पहर के फैसलों का अंजाम कई बार अधूरा रह जाता है। वीरभद्र सरकार ने भी कुछ ऐसे फैसले लिए थे, जो न जाने कहां दफन हो गए। ऐसे में अंतिम चरण के निर्णयों पर विपक्ष की आपत्तियां खारिज नहीं होतीं। सरकार ने कर्मचारी स्थानांतरणों पर लगी रोक को हटाते हुए सचिवालय की रौनक बढ़ा दी है, तो दूसरी ओर चार दिवसीय मानसून सत्र की तारीख तय करके वर्तमान विधानसभा के अंतिम सत्र को चिट्ठी लिख दी है। दस अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में मानसून सरीखी बरसात होती है या कहीं संवेदनाओं की बाढ़ आती है, यह देखना जरूरी है क्योंकि इसके बाद जवाबदेही के बजाय सवालों के ढेर पर पुनः जनता अपने मसले ढूंढते-ढूंढते एक नई सरकार का गठन कर देगी।
Rani Sahu
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