सम्पादकीय

बुजुर्गों और कोमोरबिडिटी वाले लोगों का खास ध्यान रख कर देश को हॉस्पिटलाइजेशन से बचाया जा सकता है

Gulabi
12 Jan 2022 11:03 AM GMT
बुजुर्गों और कोमोरबिडिटी वाले लोगों का खास ध्यान रख कर देश को हॉस्पिटलाइजेशन से बचाया जा सकता है
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डॉ. सुनीला के मुताबिक, यह समय कोरोना का काफी महत्वपूर्ण फेज है
पंकज कुमार।
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में कोरोना (Corona) के दैनिक मामलों के साथ हॉस्पिटलाइजेशन में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. दूसरी तरफ देश में भी कोविड के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. हालांकि अधिकतर संक्रमितों में लक्षण हल्के हैं. लेकिन केंद्र सरकार लगातार राज्यों के बढ़ते संक्रमण के प्रति आगाह कर रही है. इसकी बड़ी वजह यह है कि देश की आबादी काफी अधिक है, लेकिन उसकी तुलना में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure) कम है. ऐसे में अगर कोविड संक्रमण (Covid Infection) के मामले इसी तरह बढ़ते रहे तो क्या देश में भी हालात अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जैसे हो सकते हैं?
ऑस्ट्रेलिया में सोमवार को कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 10 लाख का आंकड़ा पार कर गई है. अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की दर तेजी से बढ़ रही है.ऑस्ट्रेलिया में कोरोना के मामले 13 लाख से अधिक हैं. अब तक कुल 2,387 मौतें दर्ज की गई हैं. अमेरिका में भी कोरोना के मरीजों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. सोमवार को देश में 11 लाख से ज्यादा मरीज मिले हैं. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (Johns Hopkins University) के आंकड़ों के अनुसार, रविवार को अमेरिका में कोविड के मामले 6 करोड़ तक पहुंच गए हैं. देश में जनवरी 2020 के बाद से अब तक 8,37,594 मौतें भी हो चुकी हैं. वहीं अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या भी अब तक सबसे अधिक हो गई है. दोनों ही देशों में ओमिक्रॉन को संक्रमण के बढ़ने की बड़ी वजह माना जा रहा है.
देश में हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ रहा है
दूसरी तरफ भारत में भी ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. देश में हॉस्पिटलाइजेशन भी बढ़ रहा है. दिल्ली की बात करें तो राजधानी में 1 जनवरी तक अस्पतालों में 247 मरीज भर्ती थे. इनकी संख्या अब 2209 हो गई है. गंभीर मामलों में भी इजाफा हो रहा है. 1 जनवरी तक 5 संक्रमित वेंटिलेटर पर थे. अब यह आंकड़ा 84 का हो गया है. हालांकि जिस हिसाब से दिल्ली में केस बढ़ रहे हैं. उसकी तुलना में हॉस्पिटलाइजेशन काफी कम है. 1 से 11 जनवरी के बीच आए नए मामलों से सिर्फ 2 फीसदी मरीजों को ही हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है. इनमें भी बड़ी संख्या कोमोरबिड कंडीशन वाले मरीजों की है.
चेन्‍नई के अस्‍पतालों में आने वाले संक्रमितों की संख्‍या में 3 गुना इजाफा हुआ है. अब 14 फीसदी बेड भरे हुए हैं. वहीं एक महीने पहले 6 फीसदी ऑक्‍सीजन बेड भरे थे तो अब करीब 25 फीसदी ऑक्‍सीजन बेड पर मरीज भर्ती हैं. गुजरात के अहमदाबाद में भी पिछले 12 दिनों में अस्‍पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्‍या में 10 गुना तेजी आई है. शहर में निजी अस्‍पतालों में 23 दिसंबर तक 7 कोरोना मरीज थे. अब यह संख्या 70 के करीब है. कोलकाता के पश्चिम बंगाल में अस्‍पतालों में 3.6 फीसदी बेड भरे हुए हैं. मुंबई में भी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. साथ ही आईसीयू में भी मरीज बढ़ रहे हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
कमीशन फॉर कोविड टास्क फोर्स इन इंडिया की सदस्य प्रोफेसर डॉ. सुनीला गर्ग कहते हैं-
"कोमोरबिडिटी और बुजुर्ग लोगों की वजह से हॉस्पिटलाइजेशन में थोड़ा इजाफा हुआ है. लेकिन हमारे यहां अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका की तुलना में काफी कम है. महज 10 फीसदी मरीज ही हॉस्पिटल में भर्ती हैं. इन देशों की तुलना में हमारे यहां कोरोमोरबिडिटी वाले लोग भी काफी कम हैं. भारत में संक्रमण के खिलाफ हाइब्रिड इम्यूनिटी है. ऐसे में देश में हॉस्पिटलाइजेशन इन देशों की तरह नहीं बढ़ेगा. साथ ही हम धीरे-धीरे पीक की तरफ बढ़ रहे हैं. इसलिए इस बात की आशंका कम है कि आने वाले दिनों में हॉस्पिटलाइजेशन तेजी से बढ़ सकता है."
डॉ. सुनीला के मुताबिक, यह समय कोरोना का काफी महत्वपूर्ण फेज है. क्योंकि संक्रमण के नए मामले कम हो रहे हैं, लेकिन पॉजिटिविटी रेट में इजाफा दिख रहा है. ऐसे में लोग कोरोना के नए मामलों में कमी होने पर यह न सोचे की संक्रमण खत्म हो रहा है, बल्कि जरूरी यह है कि लोग कोरोना को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें. संक्रमण से बचाव के सभी नियमों का सख्ती से पालन करें.
दिल्ली में जल्द ही कोरोना पीक पर होगा
सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि बीते कुछ दिनों से हॉस्पिटलाइजेशन इसलिए बढ़ा है क्योंकि संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो हम देखते हैं कि अस्पतालों में 10 फीसदी कोविड बेड ही भरे हैं. डेल्टा की तुलना में देखें तो अभी तक ओमिक्रॉन में ज्यादा हॉस्पिटलाइजेशन नहीं देखा जा रहा है. अधिकतर संक्रमित होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं. लोगों को खांसी-जुकाम जैसे लक्षण हैं.
डॉ. किशोर के मुताबिक-
"देश की राजधानी दिल्ली में जल्द ही कोरोना का पीक आने की संभावना है. मुंबई में भी पिछले तीन दिन से नए मामलों में लगातार कमी आ रही है. साथ ही पॉजिटिविटी रेट भी कम हो रहा है. मरीजों की रिकवरी भी तेजी से हो रही है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही संक्रमण का ग्राफ गिरने लगेगा और हालात बेहतर होने लगेंगे. इसलिए इस बात की आशंका कम है कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्टर पर कोई बोझ बढ़ेगा. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि ओमिक्रॉन को हल्के में लिया जाए. जब तक मामलों में कमी नहीं आने लगती. बचाव के सभी नियमों का पालन करना जरूरी है."
ये है आगे का रास्ता
दिल्ली के मूलचंद अस्पताल के चीफ सर्जन और मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. सचिन अंबेकर बताते हैं-
"बुजुर्ग और कोमोरबिडिटी वाले लोगों को संक्रमण हो रहा है. इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है. अगर आने वाले दिनों में देश में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट बढ़ता है या आर वैल्यू में इजाफा होता है तो कोमोरबिडिटी वालों को भी संक्रमण होगा. ऐसे में हॉस्पिटलाइजेशन में इजाफा होने की आशंका भी रहेगी. इससे बचने के लिए जरूरी है कि घर के बुजुर्गों का और जिन लोगों को पुरानी बीमारियां हैं वह अपना खास ख्याल रखें. इस समय बुजुर्गों को आइसोलेशन में रखें. घर पर अगर किसी को बुखार या खांसी-जुकाम है तो वह बुजुर्गों के संपर्क में ना आएं. जिन लोगों को कोमोरबिडिटी है वह अपनी दवाओं को सही समय पर लें और खानपान का ध्यान रखें."
डॉ. के मुताबिक, अगर इन लोगों की सेहत का ख्याल रखा गया तो आने वाले दिनों में हॉस्पिटलाइजेशन में इजाफा नहीं होगा और देश में संक्रमण से हालात नियंत्रण में रहेंगे."
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