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जयप्रकाश चौकसे। महान नेता बाल गंगाधर तिलक ने मोहल्ले दर मोहल्ले सार्वजनिक गणेश पूजन प्रारंभ किया। सदियों से घरों में गणपति पूजा की जाती थी परंतु इसे सार्वजनिक मंच देकर तिलक ने मंच से स्वतंत्रता का अलख जगाने वाले कार्यक्रम आयोजित करने की परंपरा प्रारंभ की। मंच पर वाद-विवाद और गायन प्रतियोगिताओं के आयोजन का उद्देश्य भी यह था कि पूजा-पाठ के मंच से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रारंभ किया जा सके। ब्रिटिश अधिकारी पूजा-पाठ के कार्यक्रम में हस्तक्षेप नहीं करते थे। गंगाधर तिलक ने इसी का लाभ राष्ट्रप्रेम की अलख जगाए रखने के लिए किया। गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद बाल गंगाधर तिलक और दार्शनिक गोखले से मुलाकात की। गोखले ने उन्हें कहा कि स्वतंत्रता के लिए संग्राम छेड़ने के पहले वे भारत की यात्रा करके भारत के आम आदमी के सपनों और डर की जानकारी प्राप्त करें।