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सुबह के आठ बजे खिड़की से परदा हटाते हुए बाहर खिली धूप देखकर जुम्मन का चेहरा उस सत्ताधारी कमल की तरह खिल उठा, सुबह होते ही जिस पर भँवरे चम्मचों की तरह इठलाने लगते हैं। कमरे से बाहर आकर वह ़फुम्मन को ज़ोर से आवाज़ देते हुए बोले, ''अमाँ यार! किसी हार खाए नेता की तरह कहाँ और क्यों छिप कर बैठे हो? बाहर आकर धूप का मज़ा लो। वैसे तो मौसम विभाग ने भारी बारिश और ब़र्फबारी की चेतावनी दी थी। लेकिन सुना है आज सरकार अपनी स्थापना के तीन वर्ष का जश्न मना रही है और समारोह में मौसम के ़खलल डालने की आशंका से पिछले हफ्ते से स्थानीय देवता की शरण में थी। लगता है देवता ने उनकी यह प्रार्थना तो सुन ली। देखें, आम चुनावों में देवता क्या करते हैं?'' ़फुम्मन अपने हाथ में चाय की ट्रे लेकर बाहर निकलते हुए बोले, ''यार! कितनी बार कहा है कि ़गलत न बोला करो। लेकिन तुम हो कि तथ्यों कोे गड्ढे में फैंक कर, अपने मन की बात फैंकते रहते हो।