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- पर झूठ तो बेशर्म व...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डोनाल्ड ट्रंप ने लोकतंत्र परंपरा का लोकव्यवहार, सामान्य सद्भाव भी नहीं दर्शाया। लेकिन यह आर्श्चयजनक इसलिए नहीं है क्योंकि झूठ और नीचता में जिनका जीवन ढला होता है वे सोच नहीं सकते हैं कि क्या पाप है और क्या पुण्य! डोनाल्ड ट्रंप ने, न अपने को गलत माना, न अपनी हार मानी, न गलत-तौर-तरीकों के लिए शर्मिंदगी जाहिर की और न शपथ समारोह में शामिल होने की हिम्मत जुटा पाए। इसलिए कि उन्होंने जो झूठ बनाया, झूठ की गंगोत्री बना अपने जो वोट पकाए, भक्त बनाए, लंगूर बनाए उनके आगे वे कैसे यह दर्शा सकते थे कि जो बाइडेन शपथ ले रहे हैं और वे उस सत्य के गवाह हों। हां, डोनाल्ड ट्रंप पूरे अमेरिकी इतिहास के वे कलंकित राष्ट्रपति बने हैं, जिनमें शपथ समारोह में उपस्थित होने व फिर व्हाइट हाउस में नए राष्ट्रपति का स्वागत कर विदाई लेने की हिम्मत नहीं थे, साहस नहीं था क्योंकि वह अपने झूठ को स्वीकारना होता। तथ्य है कि शपथ समारोह में उनके डिप्टी उपराष्ट्रपति पेंस उपस्थित थे तो सकुचाए, अकेले खड़े हुए से। उनका चेहरा अपने बॉस के झूठ की शर्मिंदगी की लाचारगी लिए हुए था।