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- फर्जी खबरें फैलाने का...
भूपेंद्र सिंह | चुनाव करीब आते देखकर केवल राजनीतिक दल ही नहीं, शरारती तत्व, फर्जी फैक्ट चेकर और तथाकथित बुद्धिजीवी भी खासे सक्रिय हो जाते हैं, इसका पता चलता है गाजियाबाद के लोनी इलाके की उस घटना से, जिसमें एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई को सांप्रदायिक रंग दिया गया। जैसे ही यह कथित सूचना आई कि लोनी में बुलंदशहर के एक मुस्लिम बुजुर्ग अब्दुल समद की पिटाई की गई और पीटने वालों ने उनकी दाढ़ी काटने के साथ उनसे जबरन जयश्री राम कहने को भी कहा, विपक्षी नेताओं के साथ लिबरल-सेक्युलर तत्व और मीडिया का एक हिस्सा बिना कुछ सोचे-विचारे सक्रिय हो गया। इन सबने योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करना और यह प्रतीति कराना शुरू कर दिया कि उत्तर प्रदेश में सरकार के संरक्षण-समर्थन में सांप्रदायिक तत्व बेलगाम हो गए हैं। चूंकि मुस्लिम बुजुर्ग से कथित तौर पर जय श्रीराम बोलने को कहा गया, इसलिए फौरन ही इस नतीजे पर पहुंच जाया गया कि बुजुर्ग की पिटाई इसलिए की गई, क्योंकि वह मुस्लिम थे। लिबरल-सेक्युलर तत्वों के दुर्भाग्य से यह सच नहीं था। सच यह था कि बुजुर्ग की पिटाई इसलिए हुई, क्योंकि उनके दिए हुए ताबीज ने कथित तौर पर उलटा असर किया। उसे लेने वाले प्रवेश गुर्जर को उससे फायदा होने के बजाय नुकसान हो गया। इससे कुपित होकर ही उसने अब्दुल समद को पीट दिया। उनकी पिटाई में उसका साथ दिया आदिल, इंतजार, सद्दाम वगैरह ने।