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- आसियान देशों से...
हाल ही में 28 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रूनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के साथ संयुक्त रूप से भारत-आसियान शिखर बैठक की अध्यक्षता करते हुए वर्ष 2022 को भारत-आसियान फ्रेंडशिप वर्ष के तौर पर मनाने का फैसला किया है। इससे भारत-आसियान आर्थिक रिश्तों और कारोबार संबंधों की नई संभावनाएं आगे बढ़ी हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान भारत और आसियान दोनों तरफ से जिस तरह एक-दूसरे को सहयोग किया गया है, उससे अब भारत-आसियान आर्थिक रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। ज्ञातव्य है कि भारत ने आसियान को कोविड से लड़ाई के लिए सृजित फंड में दस लाख डॉलर की भी मदद की है। इस मौके पर दोनों पक्षों में नए कारोबारी संबंधों के विकल्पों पर भी विचार किया गया। गौरतलब है कि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान में वियतनाम, लाओस, म्यांमार, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रूनेई और कंबोडिया शामिल हैं। पिछले वर्ष 15 नवंबर 2020 को दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसेप) ने 15 देशों के हस्ताक्षर के बाद जो मूर्तरूप लिया है, भारत उस समझौते में शामिल नहीं हुआ है। इस बार फिर आसियान सदस्यों के साथ मोदी ने स्पष्ट किया कि मौजूदा स्वरूप में भारत आरसेप का सदस्य होने को इच्छुक नहीं है। भारत के मुताबिक आरसेप के तहत देश के आर्थिक तथा कारोबारी हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। आरसेप समझौते में अब तक भारत की चिंताओं का भी निदान नहीं किया गया है। अब एक ओर जहां भारत आसियान देशों के साथ नए कारोबार समझौतों के लिए आगे बढ़ रहा है, वहीं भारत दुनिया के ऐसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को तेजी से अंतिम रूप देने पर अपना ध्यान फोकस करते हुए दिखाई दे रहा है, जिन्हें भारत के बड़े चमकीले बाजार की जरूरत है और जो देश बदले में भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने के लिए उत्सुक हैं।