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- बना रहे भरोसा
मनीष मिश्रा। आज पूरा देश कोरोना वायरस के सामने जैसे किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ा है। इतने निस्सहाय-निरुपाय हम पहले कभी नहीं थे। साल भर पहले जब इस महामारी ने हमारे देश में दस्तक दी थी, तब हमारे पास कोई तैयारी नहीं थी। इस एक वर्ष में हमने लंबी यात्रा तय की है। देश तरह-तरह के प्रयोगों के दौर से गुजरा है। हमने एक के बाद एक लॉकडाउन देखे हैं, अपने बीमार पिताजी को 1,200 किलोमीटर साइकिल चलाकर बिहार ले जाने वाली किशोरी देखी है। अपने देस-गांव पैदल लौटते लाखों मजदूरों को देखा है, फिर भी हम इतने असहाय नहीं थे। हालांकि, इस बीच हमारे पास हर तरह के किट हैं, वेंटिलेटर हैं, हमारे पास वैक्सीन भी हैं, हमने वैक्सीन अपने पड़ोसियों को भी भेंट में दी है। हम वैक्सीन डिप्लोमेसी में भी अव्वल रहे। 15 करोड़ अपने लोगों को वैक्सीन लग भी चुकी है, फिर भी हम निरुपाय हैं, क्योंकि महामारी की मार इतनी तेज है कि हम कुछ कर नहीं पा रहे हैं।