सम्पादकीय

बजट से जुड़ी उम्मीदें

Subhi
31 Jan 2022 3:35 AM GMT
बजट से जुड़ी उम्मीदें
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सरकार ने अगले पांच वर्षों में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को जीडीपी के ढाई प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत किसी से छिपी नहीं है।

सरकार ने अगले पांच वर्षों में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को जीडीपी के ढाई प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत किसी से छिपी नहीं है। इसलिए बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाने की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब एक फरवरी को बजट पेश करेंगी तो उद्योग जगत के साथ-साथ आम लोगों को भी काफी उम्मीदें होंगी। गौरतलब है कि फरवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जाहिर है, चुनाव का असर भी बजट पर दिखेगा।

वैसे इस समय अर्थव्यवस्था के सामने आर्थिक विकास को रफ्तार देने की चुनौती तो है ही, साथ ही महंगाई व बेरोजगारी प्रमुख समस्याएं हैं। ऐसे में जबकि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे कोरोना की मार से उबर रही है, बजट से अपेक्षाएं बड़ी हैं। अभी भी अर्थव्यवस्था में उपभोग और निजी निवेश अपेक्षित दर से नहीं बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों से सरकार का व्यय अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऐसे में बजट का महत्त्व और बढ़ जाता है।

कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था में जो भारी गिरावट आई और इससे जो संकट खड़े हुए, उनसे निकलने के लिए जरूरी हो गया है कि सरकारी खर्च, निजी निवेश, उपभोग और निर्यात को बढ़ाने वाले कदम उठाए जाएं। पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक समृद्धि में सरकारी उपभोग में वृद्धि का काफी बड़ा योगदान रहा है जो कि औसतन लगभग सात फीसद सालाना दर से बढ़ा है। निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग तीस फीसद या उससे कम है, उपभोग में भी वृद्धि काफी धीमी है, जबकि शुद्ध निर्यात ऋणात्मक है। ऐसे में सरकारी खर्च में वृद्धि अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगी।

अर्थव्यवस्था में समृद्धि को बढ़ाने और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देने के कारण सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ा रही है और ढांचागत क्षेत्र पर भारी रकम खर्च कर रही है। सामान्य तौर पर केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद के दो फीसद से नीचे रहा है। इसमें बढ़ोतरी 2014-15 के बाद हुई। पिछले दो वर्षों में यह बढ़ कर जीडीपी का 2.4 फीसद हो गया है। पूंजीगत व्यय बढ़ने से परिसंपत्तियों का सृजन और ढांचागत क्षेत्र में निर्माण होता है। इससे अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ती है। साथ ही निजी क्षेत्र में भी पूंजीगत खर्च बढ़ता है और रोजगार के मौके बनते हैं।

आने वाले बजट में यह आशा की जा रही है कि सरकार सड़क, रेलवे क्षेत्र आदि से संबंधित परियोजनाओं पर खर्च में तीस फीसद तक की बढ़ोतरी कर सकती है। यह है भी जरूरी। सड़क, रेलवे, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश से आर्थिक गतिविधियों को विस्तार मिलता है और रोजगार सृजन होता है। यदि सरकार के खर्च की गुणवत्ता ठीक है तो ऐसे में यदि राजकोषीय घाटा साढ़े छह-सात फीसद से ऊपर भी रहता है तो चिंता की बात नहीं है।

सरकार की उत्पादन आधारित योजना से कोविड-19 प्रभावित क्षेत्रों को काफी राहत मिली है। सरकार को इस योजना का विस्तार करना चाहिए और इस पर सही ढंग से अमल करना चाहिए। इससे निवेश, रोजगार और उत्पादन में वृद्धि होगी। कोविड संकट के कारण निम्न आय वर्ग और मध्य वर्ग की आय पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। ऐसे में सरकार को अभी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को चालू रखने की आवश्यकता है।

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