सम्पादकीय

Budget 2022: वर्चुअल डिजिटल एसेट पर टैक्स मतलब ना-ना करते प्यार उसी से कर बैठे

Rani Sahu
1 Feb 2022 2:26 PM GMT
Budget 2022: वर्चुअल डिजिटल एसेट पर टैक्स मतलब ना-ना करते प्यार उसी से कर बैठे
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वर्चुअल डिजिटल एसेट पर टैक्स मतलब ना-ना करते प्यार उसी से कर बैठे

प्रवीण कुमार

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट (Budget) में वर्चु्अल डिजिटल एसेट (Digital Asset) पर टैक्स को लेकर सरकार ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि इससे होने वाली कमाई पर अब 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. वित्त मंत्री के मुताबिक, आने वाले वक्त में आरबीआई के डिजिटल रुपये के अलावा क्रिप्टो वर्ल्ड (Crypto World) में मौजूद सभी क्वाइन वर्चुअल असेट्स में गिने जाएंगे. इनके लेन-देन में अगर किसी को मुनाफा होता है तो उसपर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की इस ताजा बजट घोषणा से इतना तो साफ हो ही गया है कि सरकार क्रिप्टो करेंसी के तहत आने वाली बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाने जा रही है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद कहा कि कोई भी मुद्रा 'करेंसी' तभी कहलाती है, जब केंद्रीय बैंक उसे जारी करता है. जो मुद्रा केंद्रीय बैंक के दायरे से बाहर है, उसे हम करेंसी नहीं कहेंगे. लिहाजा सरकार ऐसी किसी भी 'करेंसी' पर टैक्स नहीं लगाने जा रही है जिसे अभी जारी होना बाकी है. भारत में डिजिटल रुपये को आरबीआई जारी करेगा जो डिजिटल करेंसी कहलाएगी. इसके अलावा वर्चुअल डिजिटल वर्ल्ड में जो कुछ है, वो असेट्स हैं.
वर्चुअल डिजिटल असेट पर टैक्स का मतलब क्या है?
वित्त मंत्री के मुताबिक, आरबीआई के डिजिटल रुपये के अलावा क्रिप्टो वर्ल्ड में मौजूद सभी क्वाइन वर्चुअल असेट्स में गिने जाएंगे. इनके लेन-देन में अगर किसी को मुनाफा होता है तो उसपर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा. इस तरह के हर लेन-देन पर सरकार नजर रखेगी. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि क्रिप्टो की दुनिया में होने वाले हर लेन-देन पर एक फीसदी टीडीएस लगेगा. इस तरह फर्क साफ है कि डिजिटल करेंसी वही होगी, जिसे इस साल आरबीआई जारी करेगा. वहीं, क्रिप्टो की दुनिया में मौजूद अलग-अलग तरह की संपत्तियों के हर लेनदेन पर टैक्स लगेगा. लेकिन इसे सीधे क्रिप्टो करेंसी की कमाई पर टैक्स नहीं कह सकते हैं. चूंकि क्रिप्टो करेंसी को सरकार से कानूनी मान्यता नहीं मिली हुई है. लिहाजा सरकार ने इसे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का नाम दिया है. इसमें क्रिप्‍टोग्राफिक के जरिए जनरेटेड कोई भी सूचना, कोड, नंबर या टोकन को शामिल किया गया है, जो एक डिजिटल रिप्रजेंटेशन प्रदान करता है.
क्रिप्टो की वजह से बहुत कुछ लगा था दांव पर
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 13 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल डिजिटल एसेट पर नियम बनाने को लेकर एक बैठक की थी और तब यह सहमति बनी थी, कि 'बड़े-बड़े वादों और गैर-पारदर्शी विज्ञापनों से युवाओं को गुमराह करने की कोशिशों' को रोका जाए. बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि अनियंत्रित डिजिटल मार्केट मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल हो सकती है. लिहाजा इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.
शीतकालीन सत्र के मद्देनजर 23 नवंबर 2021 को जब लोकसभा का बुलेटिन जारी हुआ तो वर्चुअल डिजिटल मार्केट में उथल-पुथल मच गई थी. बुलेटिन में तब कहा गया था कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' लाने वाली है. खबर फैलते ही भारत के करीब 10 करोड़ क्रिप्टो निवेशकों में डर पैदा हो गया और मार्केट गिरने लगा.
अगले दिन यानि 24 नवंबर को क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन में 17 फीसदी तक की गिरावट देखी गई थी. हालांकि बाद में फाइनेंस पर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने तब फैसला लिया कि क्रिप्टो करेंसी पर बैन नहीं लगाया जाएगा, बल्कि उसे रेग्युलेट किया जाएगा. इस तरह से कोई बिल तब संसद में पेश नहीं किया गया और अब सीधे केंद्रीय बजट में सरकार ने घुमाकर-फिराकर वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का नाम देकर इसपर टैक्स की घोषणा कर दी.
सोच-समझकर लिया गया टैक्स लगाने का फैसला
आर्थिक विशेषज्ञों की तरफ से बार-बार इस बात पर भी जोर दिया जा रहा था कि क्रिप्टो करेंसी को लेकर कोई नियामक स्पष्ट कर दिया जाए तो इस सेक्टर में जबरदस्त उछाल आएगा. इतना ही नहीं यह भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है. यहां तक कहा गया कि भारत में क्रिप्टो करेंसी की बेमिसाल तरक्की को भुनाने में सरकार अगर कामयाब हो जाती है तो इस इंडस्ट्री में भारत पूरी दुनिया का बड़ा खिलाड़ी बन सकता है.
दरअसल, भारत दुनिया में सबसे ज्‍यादा क्रिप्‍टो निवेशकों का देश है. डिस्‍कवरी प्‍लेटफॉर्म ब्रोकरचूजर के मुताबिक, यहां 10.07 करोड़ क्रिप्‍टो निवेशक हैं. यह देश की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत हैं. इन 8 प्रतिशत निवेशकों ने मौजूदा वक्त में करीब 70 हजार करोड़ रुपये दुनियाभर में प्रचलित कई तरह की डिजिटल करेंसी में लगाए हुए हैं. ऐसे में अगर सरकार भारत में इसपर प्रतिबंध लगाने का फैसला करती है तो दांव पर 70 हजार करोड़ रुपये लगा चुके भारतीय निवेशकों के लिए तगड़ा झटका होता.
दुनियाभर में इस वक्त 7 हजार से ज्यादा अलग-अलग डिजिटल करेंसी चलन में हैं. भारत में सरकार अगर प्रतिबंध लगाने का फैसला करती तो बिटक्वाइन समेत दूसरी सभी डिजिटल मुद्राओं में निवेश करने वालों के समक्ष बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं. बैंक और डिजिटल करेंसी एक्सचेंजों के बीच लेनदेन बंद हो जाता. इसे खरीदने के लिए आप अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाते और न ही उन्हें भुना पाते. लिहाजा सरकार ने इसे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का नाम देकर उसे टैक्स के दायरे में लाकर बीच का रास्ता निकाला.
क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाना संभव नहीं
इंटरनेट की दुनिया की कोई सीमा नहीं होती है. इंटरनेट पर कोई किस सर्वर पर क्या कर रहा है ये किसी को पता नहीं होता. साथ ही ये वर्चुअल करेंसी चूंकि इंक्रिप्टेड फॉर्म में होती है और इसकी इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा वैल्यू है, लिहाजा कोई भी सरकार इसे पूरी तरह से बैन करने का रिस्क नहीं ले सकती है. अगर सरकार प्रतिबंध लगा भी देती तो भी अलग-अलग तरीकों से इसकी ट्रेडिंग को रोका नहीं जा सकता था. दूसरा, जब आप रुपए, डॉलर, येन या पाउंड की बात करते हैं तो उस पर उसे जारी करने वाले देश के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण होता है.
इससे उलट वर्चुअल डिजिटल करेंसी पर किसी का कंट्रोल नहीं होता है, यह पूरी तरह से डीसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है. कोई भी सरकार, बैंक, कंपनी या किसी एक व्यक्ति का इसपर कंट्रोल नहीं होता. और सबसे अहम बात यह कि इस करेंसी को माइनिंग के जरिए तैयार किया जाता है. यह वर्चुअल माइनिंग होती है, जिसमें इस करेंसी को पाने के लिए एक बेहद जटिल डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है. इस पहेली को हल करने के लिए अपने खुद के एल्गोरिद्म (प्रोग्रामिंग कोड) और साथ ही बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा ज्यादातर वर्चुअल डिजिटल करेंसी एक्सचेंज भारत में रजिस्टर्ड ही नहीं हैं. लिहाजा अगर भारत सरकार कोई कानून बनाती भी, तो इसका इसकी ट्रेडिंग पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. लिहाजा सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाने का मन बदल दिया.
बहरहाल, सरकार ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर 30 फीसदी का टैक्स लगाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. साथ ही ये भी कि क्रिप्टो वर्ल्ड के तहत आने वाले तमाम क्वाइन को ना-ना करते सरकार उसी से प्यार कर बैठी. बैन लगाने या उसके नियमन संबंधी कानून लाने की बात तो दूर, उसपर टैक्स लगाकर खुलकर खेलने की छूट दे दी. हालांकि यह बताना अभी संभव नहीं कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर टैक्स लगाने से सरकार को कितनी आमदनी होगी क्योंकि जिस तरह से वर्चुअल करेंसी हवा में घूमता है उसी प्रकार से पूरा का पूरा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स भी अभी हवा में ही घूम रहा है. अब जबकि सरकार ने इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं तो आने वाले दिनों में शायद यह पता चल जाए कि देश में कितने लोगों के पास कितना वर्चुअल डिजिटल एसेट्स है और इसपर लगाए गए टैक्स से सरकार को कितनी आमदनी हुई.
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