- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बजट 2022: काम नहीं,...
समाजवाद के यूटोपियन सपने से बाहर निकल आने के बाद एक प्रगतिशील, समृद्ध और बहुलतावादी राष्ट्र के निर्माण के पीछे तीन प्रमुख कारकों पर मैं विश्वास करता आया हूं : काम, कल्याण और संपत्ति। इनमें से कोई भी दूसरे से कम या ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं-यानी सबका महत्व समान है। हां, संदर्भ में अंतर हो सकता है। पिछले तीस वर्षों में हमने नाटकीय रूप से भिन्न-भिन्न आर्थिक परिदृश्य देखे हैं। वर्ष 1991 में हम दिवालिया होने के कगार पर थे, तो 1997 में भूमंडलीकरण का असर दिखा, वर्ष 2002-03 में हमने सूखे का सामना किया, तो 2005-08 में वैश्विक आर्थिक बढ़ोतरी का हमें लाभ मिला, 2012-13 में हमें नगदी संकट से जूझना पड़ा, 2016-17 में नोटबंदी और सूखे से स्थिति खराब हुई, जबकि 2020-22 को महामारी और आर्थिक मंदी के लिए जाना जाएगा। इनमें से प्रत्येक स्थिति का मुकाबला करने के लिए बजट में अलग और सूक्ष्म नजरिया चाहिए, लेकिन तब भी काम, कल्याण और संपत्ति को महत्व देने का बुनियादी दर्शन नहीं बदलना चाहिए
सोर्स: अमर उजाला