सम्पादकीय

Budget 2022: निर्मला सीतारमण के बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी अगले 25 वर्षों की गति और शक्ति

Gulabi
1 Feb 2022 3:49 PM GMT
Budget 2022: निर्मला सीतारमण के बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी अगले 25 वर्षों की गति और शक्ति
x
निर्मला सीतारमण के बजट
करन भसीन।

केंद्रीय बजट (Budget) 2022 के पेश होने से पहले कई चर्चाओं में भाग लेने के दौरान इस साल के बजट के लिए व्यापक विश लिस्ट्स को देखते हुए मैं थोड़ा चिंतित हो गया था. मुझे खुशी है कि वो लिस्ट्स बस इच्छाओं तक ही सीमित रह गई और अपने कई वैश्विक समकक्षों के विपरीत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने नीति निर्माण की दिशा में एक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया. वास्तव में, बजट की पृष्ठभूमि विकास की बहाली की ठोस प्रक्रिया और कर राजस्व में बढ़ोतरी रही है.
हालांकि, यह उछाल बेहतर अनुपालन (Compliance) और उच्च सांकेतिक विकास दर (Higher Nominal Growth Rate) का परिणाम रहा है. इसलिए, आगे भी इसी तरह के राजस्व वृद्धि की उम्मीद नहीं की जा सकती है. 2008-09 के प्रोत्साहन के बाद के वर्षों में हमारे नीति निर्धारकों ने यह गलती की है, और इस बात की उम्मीद की गयी कि कर राजस्व में सुधार जारी रहेगा, जिससे उन्हें केंद्र सरकार के व्यय का विस्तार करना पड़ा.
समर्थन की जरूरत
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि बजट मार्च में यूएस फेड रेट में संभावित बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें 50-बेस पॉइंट की वृद्धि हो सकती है. ऐसे अस्थिर वातावरण में स्थिरता पर अधिक ध्यान देना जरूरी है. साथ ही, समग्र अर्थव्यवस्था को कुछ समर्थन की आवश्यकता होती है और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को और समर्थन देने की जरुरत है. इसके अलावा, हमें अपना ध्यान मानव पूंजी निवेश (Human Capital Investment) की ओर स्थानांतरित करने की भी आवश्यकता है.
महामारी ने निश्चित रूप से देश में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में मदद की है, लेकिन इसमें अभी भी सुधार की गुंजाइश है. मध्यम अवधि के राजकोषीय लक्ष्यों को बनाए रखते हुए और अगले कुछ हफ्तों या शायद महीनों के लिए लगातार तेल की उच्च कीमतों के जोखिमों के बीच बजट को यह सब हासिल करना है. सार्वजनिक उद्यम नीति (Public Enterprise Policy) की पुनरावृत्ति इस बात की पुष्टि करती है कि सरकार विनिवेश और निजीकरण के लिए प्रतिबद्ध है. कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद की घबराहट को देखते हुए यह महत्वपूर्ण था.
इन्फ्रा पुश
बजट में 'पीएम गति शक्ति' पर विशेष ध्यान देने के साथ बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की गई है. इस बात पर फोकस है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करना है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धी फेज की ओर बढ़ रही है जिसमें मानव पूंजी उत्पादकता और मूल्यवर्धन का प्रमुख स्रोत होगा. इसलिए, अच्छे बुनियादी ढांचे वाले आधुनिक शहर उन्हें आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं – और कुछ मामलों में उन्हें भारत में बनाए रखते हैं. पूंजीगत व्यय में 35.4 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो असाधारण है – और यह दर्शाता है कि विकास की वापसी की प्रक्रिया उच्च सार्वजनिक निवेश के माध्यम से होगी.
ECLGS का विस्तार भी एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के कई MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) इस सुविधा से लाभान्वित होंगे.हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में MSME के लिए अतिरिक्त ऋण इस सेक्टर में आर्थिक गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा देगा.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि PFCE में गिरावट मुख्य रूप से हॉस्पिटैलिटी और कपड़े से संबंधित सेक्टरों में थी. MSME के लिए बेहतर नकदी प्रवाह महामारी से संबंधित अनिश्चितता कम होने के बाद उन्हें मांग को पूरा करने में सक्षम बनाएगा. यही कारण है की ECLGS विस्तार उचित समय पर लिया गया एक निर्णय है.
स्वच्छ ऊर्जा और SEZ
स्वच्छ ऊर्जा के संदर्भ में, शहरी क्षेत्रों में विश्व स्तरीय स्वच्छ ऊर्जा आधारित परिवहन के निर्माण की दिशा में काम करने पर जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी-स्वॉपिंग नीति और इंटरऑपरेबिलिटी मानकों से इन क्षेत्रों में ईवी अपनाने और नयी तकनीकों को गति देने में मदद मिलेगी. घरेलु विनिर्माण (Domestic Manufacturing) को बढ़ावा देने के लिए स्पेशल इकनोमिक ज़ोन्स को एक नए कानून से बदलना, जिसमें राज्य भी एक स्टेकहोल्डर के रूप में होंगे, विधायी सुधारों का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा है. नए कानून में बाबा कल्याणी समिति की कुछ सिफारिशें शामिल हो सकती हैं और अन्य देशों की तरह SEZ के नेतृत्व में विनिर्माण वृद्धि को गति मिल सकती है.
इसके अतिरिक्त, भारतीय उद्योग के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास, और घरेलू उद्योग के लिए पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) से एक फंड के साथ स्टार्ट-अप खोलने से मजबूत औद्योगिक आधार बनाने में मदद मिलेगी, जो हमारी रक्षा और सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को घरेलू नियमों से मुक्त 'GIFT City' में शिक्षा प्रदान करने की अनुमति देना शहर में अत्यधिक उत्पादक संसाधनों की उपलब्धता के विस्तार में एक अहम कदम है. अच्छे विश्वविद्यालय उच्च वेतन वाले श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में कार्य करते हैं जिसमें अधिकांश वित्तीय क्षेत्र के कर्मचारी शामिल होते हैं.
ईज ऑफ़ लिविंग के संदर्भ में, ई-पासपोर्ट का शुभारंभ हमारे यात्रा करने के तरीके में एक बड़ा बदलाव होगा. यह कदम भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (Digital Public Infrastructure) को और मजबूत करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि यह अन्य उच्च-विकास अर्थव्यवस्थाओं से आगे बना रहे.
क्रिप्टो एसेट्स
कर के मोर्चे पर, क्रिप्टो एसेट्स (नॉन-फंजिबल टोकन, क्रिप्टोकरेंसी, आदि) और ऐसी दूसरी संपत्तियों पर कर की शुरूआत के साथ-साथ करदाताओं को अपने रिटर्न को संशोधित करने की अनुमति देने का निर्णय देना बड़ा बदलाव है. इसके अलावा, लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर (Long-term capital gains tax) में समता के लिए LGCG को 15 प्रतिशत पर रखना भी एक महत्वपूर्ण निर्णय है.
हमेशा की तरह इस बजट में भी कुछ कमी है. उनमें से शायद एक है 2.73 लाख करोड़ रुपये की लागत से कृषि उत्पादों की खरीद में बड़ी वृद्धि, जिसका बतौर MSP उनके खातों में सीधा भुगतान होगा. कुल मिलाकर, मजबूत अर्थव्यवस्था और विकास इस बजट का मुख्य लक्ष्य है. यह बजट अर्थव्यवस्था को निरंतर तरीके से उच्च-विकास पथ पर रखने की पूरी कोशिश करता है. अर्थव्यवस्था में एक वाजिब आशावाद नजर आता है, जिसे बजट में हासिल करने की कोशिश की गई है.
संशोधित राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6.8 प्रतिशत के मुकाबले 6.9 प्रतिशत है. अगले साल का राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है. यह शुरुआती Fiscal consoldiation plan के अनुरूप है, जो व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध होने की जरूरत पर बल देता है.
(डिस्क्लेमर: लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
Next Story