सम्पादकीय

बजट 2022: डिजिटल बैंकिंग पर जोर देने से बदल सकती है ग्रामीण भारत की तस्वीर

Neha Dani
24 Feb 2022 1:47 AM GMT
बजट 2022: डिजिटल बैंकिंग पर जोर देने से बदल सकती है ग्रामीण भारत की तस्वीर
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बैंकिंग प्रणाली किसी भी अर्थव्यवस्था की रक्त रेखा होती है और बैंक जनता के पैसे के ट्रस्टी होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, बैंकिंग क्षेत्र संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, बजट का तत्काल प्रभाव हमेशा वित्तीय बाजारों और बैंकिंग क्षेत्र पर होता है।

यद्यपि बजट में बैंकिंग क्षेत्र के लिए कोई प्रत्यक्ष घोषणा तो नहीं हुई फिर भी ऐसे कई बिंदु हैं जो आने वाले दिनों में बैंकिंग क्षेत्र को प्रभावित करेंगे, छोटे व्यवसायों के लिए अधिक क्रेडिट लाइन, केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा की शुरुआत और दिवालियापन कानून को मजबूत करने के लिए संशोधन इस साल के केंद्रीय बजट में बैंकिंग क्षेत्र के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से हैं।
बजट और डिजिटल बैंकिंग
बजट में फिनटेक और डिजिटल बैंकिंग पर जोर दिया गया है, भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अलग-अलग जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
डाकघर द्वारा संचालित बैंकिंग सेवाओं के डिजिटलीकरण के साथ, यह एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना चाह रही है। 35 करोड़ से अधिक डाकघर जमा खातों को अब कोर बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.5 लाख डाकघरों को कोर बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने की घोषणा की, जिससे लोग अपने खाते को ऑनलाइन एक्सेस कर सकेंगे और डाकघर खातों और अन्य बैंकों में धन हस्तांतरित कर सकेंगे, यह ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए मदतगार होगा, साथ ही अंतर-संचालन और वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देगा।
कोर बैंकिंग का हिस्सा होने से फंड के प्रबंधन में आसानी होगी, जिसमें पोस्ट ऑफिस की बचत से बैंक खातों में देश विदेश में फंड ट्रांसफर करना बहुत आसान बन जाएगा, यह ग्रामीण भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा प्रयास है।
पिछले साल, सीतारमण ने ग्रामीण और कम सेवा वाले क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और भुगतान के डिजिटल तरीकों को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे सरकार इसे जारी रखेगी, भारतीय बाजार की फिनटेक अपनाने की दर 87% है, जो वैश्विक औसत 64% से बहुत अधिक है।
बैड बैंक की घोषणा पिछले साल की गई थी। इस बजट में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता समाधान प्रक्रिया को तेज करने की बात की गई है और इसके समय को दो साल से घटाकर छह महीने किया जाएगा।
केंद्रीय बजट प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों रूप में विकासोन्मुख है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत व्यय में 35 प्रतिशत की वृद्धि और स्थानीय कंपनियों के लिए 65 प्रतिशत रक्षा पूंजीगत व्यय, स्टार्टअप के लिए कर प्रोत्साहन और पीएम गति शक्ति से बैंकिंग क्षेत्र को लाभ होगा।
सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड लाने से बैंकिंग क्षेत्र को भी मदद मिलेगी। इस नए विचार में सरकार हरित परियोजनाओं के लिए ऐसे निर्दिष्ट बांडों के माध्यम से उधार लेगी। ईसीएलजीएस योजना का एक और साल विस्तार एमएसएमई के साथ ही बैंकिंग क्षेत्र के व्यापार को मजबूत करेगा, सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को एक साल के लिए 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया है।
इसके अलावा, ईसीएलजीएस के लिए गारंटी कवर को भी 50,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर कुल 5 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। अतिरिक्त राशि आतिथ्य और संबंधित उद्यमों पर केंद्रित होगी।
सरकार ने अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के लिए 2022-23 से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए डिजिटल रुपया पेश करने का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ, भारत अपने स्वयं के केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जारी करने वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा डिजिटल रूप में आरबीआई द्वारा जारी एक कानूनी निविदा होगी। इसे सरकार द्वारा जारी नोटों के साथ आमने-सामने बदला जा सकता है।
महामारी के कारण भारत का बैंकिंग क्षेत्र बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा है। बैंकों को मौजूदा हालात से उबरने में 24 से 36 महीने तक का वक़्त लग सकता है।
क्या बदलेगी भारत की तस्वीर?
डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर और फिनटेक नवाचार की शुरुआत से फिनटेक क्षेत्र को गति मिलेगी। तकनीक तय करेगी कि बैंकिंग का तरीका क्या है। इसमें विशाल डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, स्मार्ट फोन और इसी तरह के अन्य आविष्कार शामिल हैं। बैंकों के साथ ग्राहक संपर्क और लेन-देन मल्टी-वे के बजाय ऑल-वे होगा।
भारत में बड़ी संख्या में मोबाइल ग्राहक होने के कारण, वित्तीय सेवाओं के वितरण में इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किए जाने की काफी संभावनाएं हैं। इस समय देश में 90 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन हैं। लेकिन सिर्फ चार करोड़ लोग ही मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं। निकट भविष्य में डिजिटल बैंकिंग अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेगी और फिनटेक भारतीय बैंकिंग और भुगतान प्रणाली के लिए आगे का रास्ता है।
साथ ही, यह आवश्यक है कि देश में काम करने वाली भुगतान प्रणालियां अच्छी और सुरक्षित हों। केंद्रीय बैंक धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। बावजूद इसके कार्डों में धोखाधड़ी और ऑनलाइन लेनदेन की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं।
हालांकि, डिजिटल चैनलों को सुरक्षित करने के लिए क्रेडिट, डेबिट, प्रीपेड कार्ड पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर सभी ऑनलाइन, आईवीआर, आवर्ती लेनदेन के लिए बैंकों द्वारा अतिरिक्त प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से भी स्थिति में सुधार हो सकता है।
महामारी के कारण भारत का बैंकिंग क्षेत्र बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा है। बैंकों को मौजूदा हालात से उबरने में 24 से 36 महीने तक का वक़्त लग सकता है। भारत में अकेला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ही ऐसा बैंक है, जो दुनिया के टॉप 50 बैंकों में आता है। उचित बजट, सही कर और नियामक नीतियाँ बैंकिंग उद्योग को तेजी से विकास पथ पर वापस ला सकती हैं।
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सोर्स: अमर उजाला

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